"शैलकृत जैन मन्दिर" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{तमिलनाडु के पर्यटन स्थल}}
 
{{तमिलनाडु के पर्यटन स्थल}}
[[Category:तमिलनाडु]][[Category:तमिलनाडु के पर्यटन स्थल]][[Category:तमिलनाडु के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
+
[[Category:तमिलनाडु]][[Category:तमिलनाडु के पर्यटन स्थल]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:तमिलनाडु के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

06:00, 13 दिसम्बर 2012 का अवतरण

शैलकृत जैन मन्दिर सीत्तान्नावसल गाँव, तमिलनाडु में स्थित है। यह एक गुफ़ा मन्दिर है, जो पांड्य शासन काल में बनाया गया था। मन्दिर मूल चट्टान को काटकर बनाया गया है।

इतिहास

'अरिवरकोविल' या 'अरहतों के मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध इस शैलकृत मंदिर को पहले पल्‍लव राजा महेन्द्रवर्मन (580-630 ई.) के जैन धर्म से हिन्दू धर्म में परिवर्तन से पूर्व का उत्‍खनन माना जाता था। तथापि पांडियन देश में इसकी भूगोलीय स्‍थिति तथा पांडियन राजा द्वारा इसके जीर्णोद्धार संबंधी उत्‍कीर्णलेखीय सन्‍दर्भों पर विचार करने से अब ये गुफ़ा मंदिर पांड्य राजा मारन सेन्‍दन (654-670 ई.) तथा अरिकेसरी मारवर्मन (670-700 ई.) के शासन काल के माने जाते हैं, जब पांड्यों का शासन चरम पर था और मारवर्मन अपने धर्म परिवर्तन से पूर्व जैन था।

स्थापत्य

मूल चट्टान में हल्‍के से कटे अग्रभाग में दो स्‍तंभ तथा दो भित्‍ति स्‍तंभ हैं, जिनका आधार तथा शीर्ष वर्गाकार है तथा बीच में अष्‍टभुजाकार द्वारमंडप है। इस द्वारमंडप के पीछे एक अन्‍य हॉल है तथा इसके पृष्‍ठ भाग में एक चौकोर गर्भगृह है। गर्भगृह के प्रवेश पर जंगले सहित सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। हॉल में ध्‍यान मुद्रा में विराजमान जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ, जिनके सिर पर पाँच मुँह वाले साँप का फन है तथा एक छतरी के नीचे ध्यान में बैठे एक संत की नक्काशी है। दूसरी मूर्ति के नीचे एक गढ़त उत्‍कीर्ण लेख है, जिसमें तिरूवसरियन (महान अध्‍यापक) लिखा है। गर्भगृह में दो जैन तीर्थंकरों की तीन और नक्काशियाँ हैं, जो तीन छतरियों तथा एक आचार्य द्वारा निर्दिष्‍ट हैं।

विशेषता

इस गुफ़ा मंदिर की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण विशेषता जैन स्‍वर्गों में सर्वाधिक आनंददायक, समवाशरण तथा विशेष रूप से दूसरी भूमि अर्थात खटिका भूमि या टैंक क्षेत्र के विषय को दर्शाने वाले भित्‍ति चित्रों की मौजूदगी है। टाइल चित्र में कमल के फूलों से भरा एक बड़ा टैंक दर्शाया गया है। अन्‍य चित्रों में भव्‍य हाथी तथा मछलियाँ हैं, जिनमें से एक जल स्‍तंभों के बाहर उड़ रही है। इन आकृतियों की पहचान पांड्य राजा श्रीमार श्रीवल्‍लभ (नौवीं शताब्‍दी ई.) तथा उनकी रानी जो मदुरई के आचार्य इलम गौतमन् का आदर-सत्कार कर रही है के साथ की गई है। चित्रों को साफ करने पर चित्र की एक और परत भी पाई गई थी, जिसमें उसी समवाशरण विषय को कारपेट डिज़ाइन में गर्भगृह में दर्शाया गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख