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'''अम्बिकापुर''' [[मध्य भारत]] के [[छत्तीसगढ़]] [[राज्य]] में स्थित एक नगर है। अंबिकापुर [[सरगुजा ज़िला|सरगुजा ज़िले]] का मुख्यालय है और अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान एक बार यह [[गुजरात]] के राजसी राज्य की राजधानी भी रह चुका है। यह नगर भूतपूर्व सरगुजा, विश्रामपुर के नाम से भी जाना जाता है। जब यह नगर भूतपूर्व सरगुजा रियासत की राजधानी था, तब यह 'सरगुजा' कहलाता था। छत्तीसगढ़ राज्य का यह नगर सबसे ठण्डे स्थानों में से एक है। यह सड़क मार्ग से धर्मजयगढ़ पटना व सोनहट से जुड़ा है। एक समय इसके आसपास के क्षेत्र सरगुजा, और कोरिया रियासतों के अंग हुआ करते थे। यह एक उर्वर पठार है, जिसके उत्तर, पूर्व और दक्षिण में विशाल पहाड़ी अवरोधक व पठार हैं। [[धान]], [[गेहूँ]] और [[तिलहन]] अम्बिकापुर के आसपास के क्षेत्रों की मुख्य कृषि उपज है। यहाँ के वनोत्पाद भी आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। मुख्यत: [[कृषि]] व्यापार में व्यस्त यह नगर [[कोयला|कोयले]] के संग्रहण व वितरण का बड़ा केंद्र है। यहाँ की जलवायु स्फूर्तिदायक है। | '''अम्बिकापुर''' [[मध्य भारत]] के [[छत्तीसगढ़]] [[राज्य]] में स्थित एक नगर है। अंबिकापुर [[सरगुजा ज़िला|सरगुजा ज़िले]] का मुख्यालय है और अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान एक बार यह [[गुजरात]] के राजसी राज्य की राजधानी भी रह चुका है। यह नगर भूतपूर्व सरगुजा, विश्रामपुर के नाम से भी जाना जाता है। जब यह नगर भूतपूर्व सरगुजा रियासत की राजधानी था, तब यह 'सरगुजा' कहलाता था। छत्तीसगढ़ राज्य का यह नगर सबसे ठण्डे स्थानों में से एक है। यह सड़क मार्ग से धर्मजयगढ़ पटना व सोनहट से जुड़ा है। एक समय इसके आसपास के क्षेत्र सरगुजा, और कोरिया रियासतों के अंग हुआ करते थे। यह एक उर्वर पठार है, जिसके उत्तर, पूर्व और दक्षिण में विशाल पहाड़ी अवरोधक व पठार हैं। [[धान]], [[गेहूँ]] और [[तिलहन]] अम्बिकापुर के आसपास के क्षेत्रों की मुख्य कृषि उपज है। यहाँ के वनोत्पाद भी आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। मुख्यत: [[कृषि]] व्यापार में व्यस्त यह नगर [[कोयला|कोयले]] के संग्रहण व वितरण का बड़ा केंद्र है। यहाँ की जलवायु स्फूर्तिदायक है। | ||
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'सीताबेंगरा गुफ़ा' [[छत्तीसगढ़]] की राजधानी [[रायपुर]] से 280 किलोमीटर दूर अम्बिकापुर के [[रामगढ़, अम्बिकापुर|रामगढ़]] में स्थित है। [[अंबिकापुर]]-[[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] मार्ग पर स्थित रामगढ़ के जंगल में तीन कमरों वाली यह गुफ़ा देश की सबसे पुरानी नाटयशाला है। सीताबेंगरा गुफ़ा पत्थरों में ही गैलरीनुमा काट कर बनाई गयी है। यह गुफ़ा प्रसिद्ध [[जोगीमारा गुफ़ाएँ|जोगीमारा गुफ़ा]] के नजदीक ही स्थित है। सीताबेंगरा गुफ़ा का महत्त्व इसके नाट्यशाला होने से है। माना जाता है कि यह [[एशिया]] की अति प्राचीन नाट्यशाला है। इसमें कलाकारों के लिए मंच निचाई पर और दर्शक दीर्घा ऊँचाई पर है। प्रांगण 45 फुट लंबा और 15 फुट चौडा है। इस नाट्यशाला का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना गया है, क्यूँकि पास ही जोगीमारा गुफ़ा की दीवार पर [[सम्राट अशोक]] के काल का एक लेख उत्कीर्ण है। ऐसे गुफ़ा केन्द्रों का मनोरंजन के लिए प्रयोग प्राचीन काल में होता था।<ref>{{cite web |url=http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BE |title= सीताबेंगरा गुफ़ा|accessmonthday=11 सितम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतकोश |language=हिंदी }}</ref> | 'सीताबेंगरा गुफ़ा' [[छत्तीसगढ़]] की राजधानी [[रायपुर]] से 280 किलोमीटर दूर अम्बिकापुर के [[रामगढ़, अम्बिकापुर|रामगढ़]] में स्थित है। [[अंबिकापुर]]-[[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] मार्ग पर स्थित रामगढ़ के जंगल में तीन कमरों वाली यह गुफ़ा देश की सबसे पुरानी नाटयशाला है। सीताबेंगरा गुफ़ा पत्थरों में ही गैलरीनुमा काट कर बनाई गयी है। यह गुफ़ा प्रसिद्ध [[जोगीमारा गुफ़ाएँ|जोगीमारा गुफ़ा]] के नजदीक ही स्थित है। सीताबेंगरा गुफ़ा का महत्त्व इसके नाट्यशाला होने से है। माना जाता है कि यह [[एशिया]] की अति प्राचीन नाट्यशाला है। इसमें कलाकारों के लिए मंच निचाई पर और दर्शक दीर्घा ऊँचाई पर है। प्रांगण 45 फुट लंबा और 15 फुट चौडा है। इस नाट्यशाला का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना गया है, क्यूँकि पास ही जोगीमारा गुफ़ा की दीवार पर [[सम्राट अशोक]] के काल का एक लेख उत्कीर्ण है। ऐसे गुफ़ा केन्द्रों का मनोरंजन के लिए प्रयोग प्राचीन काल में होता था।<ref>{{cite web |url=http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BE |title= सीताबेंगरा गुफ़ा|accessmonthday=11 सितम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतकोश |language=हिंदी }}</ref> | ||
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+ | डीपाडीह एक ऐतिहासिक स्थान है जो [[छत्तीसगढ़]] राज्य में अम्बिकापुर से 75 किमी की दूरी पर सामरी तहसील के अंतर्गत राजपुर-कुसमी मार्ग पर स्थित है। 1987-1988 ई. में यह स्थल प्रकाश में आया। डीपाडीह के उत्खनन से प्राप्त सामग्रियों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि डीपाडीह एक सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र था जहाँ नरेशों ने अपनी कलाप्रियता के उद्गार को अभिव्यक्त करने के लिए [[मूर्तिकला]] के माध्यम से मूर्तिशिल्प निर्माण को प्रश्रय दिया था। | ||
==अन्य दर्शनीय स्थल== | ==अन्य दर्शनीय स्थल== | ||
− | + | अंबिकापुर का नाम, देवी अंबिका के या महामाया देवी के नाम पर रखा गया है जो इस जगह का मुख्य आकर्षण है। यह एक पहाड़ी पर बना है जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। मेनपट यहां का खूबसूरत हिल स्टेशन है और इसे लोग "छत्तीसगढ़ का शिमला" कहते है। यह अम्बिकापुर से 45 किमी. की दूरी पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए एक घंटे का समय लगता है। टाइगर प्वांइट झरना, मेनपट में स्थित है। बुद्ध मंदिर यहां का अन्य आकर्षण है जो तिब्बती लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल है। कॉरपेट का छोटा उद्योग और गर्म कपड़ों का काम यहां होता है। यह सभी तिब्बती दलाई लामा को फॉलो करते है और मेनपट में शांति का वातावरण बनाएं रखते है। अंबिकापुर तहसील में एक अन्य आकर्षण [[देवगढ़, अम्बिकापुर|देवगढ़]] भी है। अंबिकापुर में भी शिवपुर के शिव मंदिर की तरह ढेरों मंदिर है। यह अम्बिकापुर से 49 किमी. की दूरी पर स्थित है। [[महाशिवरात्रि]] के दौरान यहां काफ़ी भीड़ रहती है और [[बसंत पंचमी]] में भी यहां काफ़ी दर्शनार्थी आते है। कैलाश गुफा, अंबिकापुर से 60 किमी. की दूरी पर स्थित है। संत रामेश्वर गहिरा गुरुजी ने इस गुफा का निर्माण किया था। यह भगवान [[शिव]] और माता [[पार्वती]] को समर्पित एक मंदिर है, इसके अलावा भी कई अन्य देवी - देवताओं को समर्पित मंदिर स्थित है। यज्ञ मंडप, संस्कृत स्कूल, गाहिरा गुरु आश्रम और कैलाश गुफा, यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। [[रामगढ़, अम्बिकापुर|रामगढ़]], एक ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। अंबिकापुर, [[बॉक्साइट]] और [[धान]] का गोदाम कहलाता है, यहां कई वन भी स्थित है। यह स्थान, पूरे राज्य से रेल और सड़क के द्वारा जुड़ा हुआ है। [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] से यहां के लिए आसानी से बसें भी मिल जाती है। अंबिकापुर में कोई हवाईअड्डा नहीं है, यहां 12 किमी. दूरी पर दारिमा एयरस्ट्रिप स्थित है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/surguja/attractions/ambikapur/ |title=अम्बिकापुर, सरगुजा |accessmonthday=11 सितम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi native planet |language=हिंदी }} </ref> | |
− | अंबिकापुर का नाम, देवी अंबिका के या महामाया देवी के नाम पर रखा गया है जो इस जगह का मुख्य आकर्षण है। यह एक पहाड़ी पर बना है जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। मेनपट यहां का खूबसूरत हिल स्टेशन है और इसे लोग "छत्तीसगढ़ का शिमला" कहते है। यह अम्बिकापुर से 45 किमी. की दूरी पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए एक घंटे का समय लगता है। टाइगर प्वांइट झरना, मेनपट में स्थित है। बुद्ध मंदिर यहां का अन्य आकर्षण है जो तिब्बती लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल है। कॉरपेट का छोटा उद्योग और गर्म कपड़ों का काम यहां होता है। यह सभी तिब्बती दलाई लामा को फॉलो करते है और मेनपट में शांति का वातावरण बनाएं रखते है। अंबिकापुर तहसील में एक अन्य आकर्षण [[देवगढ़, | ||
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14:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
अम्बिकापुर
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विवरण | यह नगर भूतपूर्व सरगुजा, विश्रामपुर के नाम से भी जाना जाता है। जब यह नगर भूतपूर्व सरगुजा रियासत की राजधानी था, तब यह 'सरगुजा' कहलाता था। |
राज्य | छत्तीसगढ़ |
ज़िला | सरगुजा |
भौगोलिक निर्देशांक | 23.12° उत्तर 83.2° पूर्व |
भाषा | हिंदी, छत्तीसगढ़ी |
पिन कोड | 497001 |
वाहन पंजीयन संख्या | CG 15 अथवा MP 27 |
दर्शनीय स्थल | सीताबेंगरा गुफ़ा, जोगीमारा गुफ़ा, देवगढ़, रामगढ़ |
अन्य जानकारी | अंबिकापुर का नाम, देवी अंबिका के या महामाया देवी के नाम पर रखा गया है जो इस जगह का मुख्य आकर्षण है। यह एक पहाड़ी पर बना है जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। |
बाहरी कड़ियाँ | सरगुजा ज़िला (आधिकारिक वेबसाइट) |
अम्बिकापुर मध्य भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक नगर है। अंबिकापुर सरगुजा ज़िले का मुख्यालय है और अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान एक बार यह गुजरात के राजसी राज्य की राजधानी भी रह चुका है। यह नगर भूतपूर्व सरगुजा, विश्रामपुर के नाम से भी जाना जाता है। जब यह नगर भूतपूर्व सरगुजा रियासत की राजधानी था, तब यह 'सरगुजा' कहलाता था। छत्तीसगढ़ राज्य का यह नगर सबसे ठण्डे स्थानों में से एक है। यह सड़क मार्ग से धर्मजयगढ़ पटना व सोनहट से जुड़ा है। एक समय इसके आसपास के क्षेत्र सरगुजा, और कोरिया रियासतों के अंग हुआ करते थे। यह एक उर्वर पठार है, जिसके उत्तर, पूर्व और दक्षिण में विशाल पहाड़ी अवरोधक व पठार हैं। धान, गेहूँ और तिलहन अम्बिकापुर के आसपास के क्षेत्रों की मुख्य कृषि उपज है। यहाँ के वनोत्पाद भी आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। मुख्यत: कृषि व्यापार में व्यस्त यह नगर कोयले के संग्रहण व वितरण का बड़ा केंद्र है। यहाँ की जलवायु स्फूर्तिदायक है।
सीताबेंगरा गुफ़ा
'सीताबेंगरा गुफ़ा' छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 280 किलोमीटर दूर अम्बिकापुर के रामगढ़ में स्थित है। अंबिकापुर-बिलासपुर मार्ग पर स्थित रामगढ़ के जंगल में तीन कमरों वाली यह गुफ़ा देश की सबसे पुरानी नाटयशाला है। सीताबेंगरा गुफ़ा पत्थरों में ही गैलरीनुमा काट कर बनाई गयी है। यह गुफ़ा प्रसिद्ध जोगीमारा गुफ़ा के नजदीक ही स्थित है। सीताबेंगरा गुफ़ा का महत्त्व इसके नाट्यशाला होने से है। माना जाता है कि यह एशिया की अति प्राचीन नाट्यशाला है। इसमें कलाकारों के लिए मंच निचाई पर और दर्शक दीर्घा ऊँचाई पर है। प्रांगण 45 फुट लंबा और 15 फुट चौडा है। इस नाट्यशाला का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना गया है, क्यूँकि पास ही जोगीमारा गुफ़ा की दीवार पर सम्राट अशोक के काल का एक लेख उत्कीर्ण है। ऐसे गुफ़ा केन्द्रों का मनोरंजन के लिए प्रयोग प्राचीन काल में होता था।[1]
जोगीमारा गुफ़ाएँ
जोगीमारा गुफ़ाएँ छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक हैं। ये गुफ़ाएँ अम्बिकापुर (सरगुजा ज़िला) से 50 किलोमीटर की दूरी पर रामगढ़ स्थान में स्थित है। यहीं पर सीताबेंगरा, लक्ष्मण झूला के चिह्न भी अवस्थित हैं। इन गुफ़ाओं की भित्तियों पर विभिन्न चित्र अंकित हैं। ये शैलकृत गुफ़ाएँ हैं, जिनमें 300 ई.पू. के कुछ रंगीन भित्तिचित्र विद्यमान हैं।
डीपाडीह
डीपाडीह एक ऐतिहासिक स्थान है जो छत्तीसगढ़ राज्य में अम्बिकापुर से 75 किमी की दूरी पर सामरी तहसील के अंतर्गत राजपुर-कुसमी मार्ग पर स्थित है। 1987-1988 ई. में यह स्थल प्रकाश में आया। डीपाडीह के उत्खनन से प्राप्त सामग्रियों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि डीपाडीह एक सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र था जहाँ नरेशों ने अपनी कलाप्रियता के उद्गार को अभिव्यक्त करने के लिए मूर्तिकला के माध्यम से मूर्तिशिल्प निर्माण को प्रश्रय दिया था।
अन्य दर्शनीय स्थल
अंबिकापुर का नाम, देवी अंबिका के या महामाया देवी के नाम पर रखा गया है जो इस जगह का मुख्य आकर्षण है। यह एक पहाड़ी पर बना है जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। मेनपट यहां का खूबसूरत हिल स्टेशन है और इसे लोग "छत्तीसगढ़ का शिमला" कहते है। यह अम्बिकापुर से 45 किमी. की दूरी पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए एक घंटे का समय लगता है। टाइगर प्वांइट झरना, मेनपट में स्थित है। बुद्ध मंदिर यहां का अन्य आकर्षण है जो तिब्बती लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल है। कॉरपेट का छोटा उद्योग और गर्म कपड़ों का काम यहां होता है। यह सभी तिब्बती दलाई लामा को फॉलो करते है और मेनपट में शांति का वातावरण बनाएं रखते है। अंबिकापुर तहसील में एक अन्य आकर्षण देवगढ़ भी है। अंबिकापुर में भी शिवपुर के शिव मंदिर की तरह ढेरों मंदिर है। यह अम्बिकापुर से 49 किमी. की दूरी पर स्थित है। महाशिवरात्रि के दौरान यहां काफ़ी भीड़ रहती है और बसंत पंचमी में भी यहां काफ़ी दर्शनार्थी आते है। कैलाश गुफा, अंबिकापुर से 60 किमी. की दूरी पर स्थित है। संत रामेश्वर गहिरा गुरुजी ने इस गुफा का निर्माण किया था। यह भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक मंदिर है, इसके अलावा भी कई अन्य देवी - देवताओं को समर्पित मंदिर स्थित है। यज्ञ मंडप, संस्कृत स्कूल, गाहिरा गुरु आश्रम और कैलाश गुफा, यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। रामगढ़, एक ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। अंबिकापुर, बॉक्साइट और धान का गोदाम कहलाता है, यहां कई वन भी स्थित है। यह स्थान, पूरे राज्य से रेल और सड़क के द्वारा जुड़ा हुआ है। बिलासपुर से यहां के लिए आसानी से बसें भी मिल जाती है। अंबिकापुर में कोई हवाईअड्डा नहीं है, यहां 12 किमी. दूरी पर दारिमा एयरस्ट्रिप स्थित है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सीताबेंगरा गुफ़ा (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 11 सितम्बर, 2014।
- ↑ अम्बिकापुर, सरगुजा (हिंदी) hindi native planet। अभिगमन तिथि: 11 सितम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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