"औंधा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} औंधा महाराष्ट्र में पुणे-हिंगोली रे...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
+
[[चित्र:Aundha-Maharashtra.jpg|thumb|250px|नागनाथ मंदिर, औंधा]]
औंधा [[महाराष्ट्र]] में [[पुणे]]-हिंगोली रेल मार्ग के चोंडी स्टेशन से आठ मील पर स्थित है। नागनाथ के मंदिर के कारण यह स्थान प्रख्यात है। कहा जाता कि मंदिर को किसी [[पांडव]] नरेश ने अपार धन लगाकर बनवाया था। मंदिर [[भारत]] के [[द्वादश ज्योतिर्लिंग|द्वादश ज्योतिर्लिंगों]] में से है। इसका नक्शा [[चालुक्य]] मंदिरों की भांति ही है। अर्थात् आधार ताराकृति है और बीच में एक बड़ा वर्गाकार मंडप है जिसके आगे उत्तर, दक्षिण, और पश्चिम की ओर द्वारमंडप बने हुए हैं। देवगृह या पूजा स्थान पूर्व की ओर है। द्वारमंडप की छत के आधार अतीव सुन्दर नक्काशीदार अष्टकोण स्तंभ हैं। देवगृह के द्वारों पर तथा उनके मंडपों पर भी बारीक नक्काशी है। भवन के बाहरी की ओर भी चालुक्य शैली में अत्यन्त कलापूर्ण तक्षण शिल्प दिखाई देता है। इसमें उत्कीर्ण मूर्तियों की अनुप्रस्थ तथा उदग्रपट्टियाँ हैं जिनके बीच-बीच में सादी नक्काशी रहित पट्टियाँ हैं [[हलेबिड]] के मंदिर की मूर्तिकला से इस मंदिर की मूर्तिकारी की समानता स्पष्ट दिखाई देती है।  
+
'''औंधा''' [[महाराष्ट्र]] में [[पुणे]]-हिंगोली रेलमार्ग के चोंडी स्टेशन से आठ मील {{मील|मील=8}} पर स्थित है। नागनाथ के मंदिर के कारण यह स्थान प्रख्यात है।
  
{{संदर्भ ग्रंथ}}
+
*कहा जाता कि नागनाथ मंदिर को किसी [[पांडव]] नरेश ने अपार धन लगाकर बनवाया था।
 +
*मंदिर [[भारत]] के [[द्वादश ज्योतिर्लिंग|द्वादश ज्योतिर्लिंगों]] में से है। इसका नक्शा [[चालुक्य]] मंदिरों की भांति ही है। अर्थात आधार ताराकृति है और बीच में एक बड़ा वर्गाकार मंडप है, जिसके आगे [[उत्तर (दिशा)|उत्तर]], [[दक्षिण]] और [[पश्चिम दिशा|पश्चिम]] की ओर द्वारमंडप बने हुए हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=120|url=}}</ref>
 +
*देवगृह या पूजा स्थान [[पूर्व दिशा|पूर्व]] की ओर है।
 +
*द्वारमंडप की छत के आधार अतीव सुन्दर नक़्क़ाशीदार अष्टकोण स्तंभ हैं।
 +
*देवगृह के द्वारों पर तथा उनके मंडपों पर भी बारीक नक़्क़ाशी है।
 +
*भवन के बाहर की ओर भी [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य शैली]] में अत्यन्त कलापूर्ण [[तक्षण कला|तक्षण शिल्प]] दिखाई देता है। इसमें उत्कीर्ण मूर्तियों की अनुप्रस्थ तथा उदग्रपट्टियाँ हैं, जिनके बीच-बीच में सादी नक़्क़ाशी रहित पट्टियाँ हैं।
 +
*[[हलेबिड]] के मंदिर की [[मूर्तिकला]] से इस मंदिर की मूर्तिकारी की समानता स्पष्ट दिखाई देती है।
 +
 
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान}}
 
{{महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान}}
[[Category:महाराष्ट्र]]
+
[[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थानावली]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]]
 
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
[[Category:नया पन्ना]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

07:32, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

नागनाथ मंदिर, औंधा

औंधा महाराष्ट्र में पुणे-हिंगोली रेलमार्ग के चोंडी स्टेशन से आठ मील (लगभग 12.8 कि.मी.) पर स्थित है। नागनाथ के मंदिर के कारण यह स्थान प्रख्यात है।

  • कहा जाता कि नागनाथ मंदिर को किसी पांडव नरेश ने अपार धन लगाकर बनवाया था।
  • मंदिर भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से है। इसका नक्शा चालुक्य मंदिरों की भांति ही है। अर्थात आधार ताराकृति है और बीच में एक बड़ा वर्गाकार मंडप है, जिसके आगे उत्तर, दक्षिण और पश्चिम की ओर द्वारमंडप बने हुए हैं।[1]
  • देवगृह या पूजा स्थान पूर्व की ओर है।
  • द्वारमंडप की छत के आधार अतीव सुन्दर नक़्क़ाशीदार अष्टकोण स्तंभ हैं।
  • देवगृह के द्वारों पर तथा उनके मंडपों पर भी बारीक नक़्क़ाशी है।
  • भवन के बाहर की ओर भी चालुक्य शैली में अत्यन्त कलापूर्ण तक्षण शिल्प दिखाई देता है। इसमें उत्कीर्ण मूर्तियों की अनुप्रस्थ तथा उदग्रपट्टियाँ हैं, जिनके बीच-बीच में सादी नक़्क़ाशी रहित पट्टियाँ हैं।
  • हलेबिड के मंदिर की मूर्तिकला से इस मंदिर की मूर्तिकारी की समानता स्पष्ट दिखाई देती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 120 |

संबंधित लेख