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*वर्तमान [[बंगाल]] के राजमहल ज़िले में यह विस्तृत पहाड़ी क्षेत्र अंग के पूर्व में स्थित था।  
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'''कजंगल''' [[पश्चिम बंगाल]] में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह विस्तृत पहाड़ी क्षेत्र अंग के पूर्व में स्थित था।
*महावग्ग में इसे महाशाल नामक ब्राह्मण गाँव के आगे मध्य देश की पूर्वी सीमा बताया गया है।  
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*'''राजमहल''' [[बंगाल]] का प्राचीन नाम था। हर्षकाल <ref>630 ई. के लगभग</ref> यहां एक स्वतंत्र राज्य था, किंतु [[हर्ष वर्धन|महाराज हर्ष]] के प्रभाव कर अंतर्गत था।
*मिलिन्दपन्हो के अनुसार यह एक ब्राह्मण गाँव था, जो प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागसेन का जन्म स्थान था।  
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* '''महावग्ग''' में इसे '''महाशाल''' नामक ब्राह्मण गाँव के आगे मध्य देश की पूर्वी सीमा बताया गया है।  
*अंगुत्तर निकाय में उल्लेख है कि महात्मा [[बुद्ध]] यहाँ आये थे।  
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*[[मिलिन्दपन्ह|मिलिन्दपन्हो]] के अनुसार यह एक ब्राह्मण गाँव था, जो प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक [[नागसेन]] का जन्म स्थान था।  
*कजंगल का [[युवानच्वांग]] ने का-चु-वेन-की-लो के रूप में उल्लेख किया है।  
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*[[अंगुत्तर निकाय]] में उल्लेख है कि महात्मा [[बुद्ध]] यहाँ आये थे।  
*चीनी यात्री ने लिखा है कि महाराज हर्षवर्धन ने अपनी पूर्वी देशों की विजय- यात्रा में युवानच्वांग में राजसभा की थी। चीनी यात्री यहाँ से पुण्ड्रवर्धन गया था।  
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*कजंगल का [[युवानच्वांग]] ने '''का-चु-वेन-की-लो''' के रूप में उल्लेख किया है।  
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08:41, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

कजंगल पश्चिम बंगाल में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह विस्तृत पहाड़ी क्षेत्र अंग के पूर्व में स्थित था।

  • राजमहल बंगाल का प्राचीन नाम था। हर्षकाल [1] यहां एक स्वतंत्र राज्य था, किंतु महाराज हर्ष के प्रभाव कर अंतर्गत था।
  • महावग्ग में इसे महाशाल नामक ब्राह्मण गाँव के आगे मध्य देश की पूर्वी सीमा बताया गया है।
  • मिलिन्दपन्हो के अनुसार यह एक ब्राह्मण गाँव था, जो प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागसेन का जन्म स्थान था।
  • अंगुत्तर निकाय में उल्लेख है कि महात्मा बुद्ध यहाँ आये थे।
  • कजंगल का युवानच्वांग ने का-चु-वेन-की-लो के रूप में उल्लेख किया है।
  • चीनी यात्री ने लिखा है कि महाराज हर्षवर्धन ने अपनी पूर्वी देशों की विजय- यात्रा में हर्ष ने राजसभा की थी। चीनी यात्री यहाँ से पुण्ड्रवर्धन गया था।
  • कजंगल के कंजुगिरि, कांकजोल आदि नाम भी उपलब्ध हैं।
  • मध्ययुग में इसे उगमहल भी कहा जाता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 125| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


  1. 630 ई. के लगभग

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