"ताम्रपर्णी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('ताम्रपर्णी श्रीलंका का प्राचीन नाम था।<ref> {{cite book | last =भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
ताम्रपर्णी [[श्रीलंका]] का प्राचीन नाम था।<ref> {{cite book | last =भट्ट| first =जनार्दन | title =अशोक के धर्मलेख| edition = | publisher =प्रकाशन विभाग| location =नई दिल्ली| language =हिंदी | pages =118| chapter =}} </ref>  [[अशोक|सम्राट अशोक]] को सर्वाधिक सफलता 'ताम्रपर्णी' में मिली। ताम्रपर्णी का राजा [[तिस्स]] तो अशोक से इतना प्रभावित था कि उसने भी 'देवानांप्रिय' की उपाधि धारण कर ली। अपने दूसरे राज्याभिषेक में उसने अशोक को विशेष निमंत्रण भेजा। जिसके फलस्वरूप सम्भवतः अशोक का पुत्र महेन्द्र बोधिवृक्ष की पौध लेकर पहुँचा। श्रीलंका में यह [[बौद्ध धर्म]] का पदार्पण था।
 
ताम्रपर्णी [[श्रीलंका]] का प्राचीन नाम था।<ref> {{cite book | last =भट्ट| first =जनार्दन | title =अशोक के धर्मलेख| edition = | publisher =प्रकाशन विभाग| location =नई दिल्ली| language =हिंदी | pages =118| chapter =}} </ref>  [[अशोक|सम्राट अशोक]] को सर्वाधिक सफलता 'ताम्रपर्णी' में मिली। ताम्रपर्णी का राजा [[तिस्स]] तो अशोक से इतना प्रभावित था कि उसने भी 'देवानांप्रिय' की उपाधि धारण कर ली। अपने दूसरे राज्याभिषेक में उसने अशोक को विशेष निमंत्रण भेजा। जिसके फलस्वरूप सम्भवतः अशोक का पुत्र महेन्द्र बोधिवृक्ष की पौध लेकर पहुँचा। श्रीलंका में यह [[बौद्ध धर्म]] का पदार्पण था।
 
+
{{seealso|श्रीलंका}}
 
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}

06:51, 25 सितम्बर 2011 का अवतरण

ताम्रपर्णी श्रीलंका का प्राचीन नाम था।[1] सम्राट अशोक को सर्वाधिक सफलता 'ताम्रपर्णी' में मिली। ताम्रपर्णी का राजा तिस्स तो अशोक से इतना प्रभावित था कि उसने भी 'देवानांप्रिय' की उपाधि धारण कर ली। अपने दूसरे राज्याभिषेक में उसने अशोक को विशेष निमंत्रण भेजा। जिसके फलस्वरूप सम्भवतः अशोक का पुत्र महेन्द्र बोधिवृक्ष की पौध लेकर पहुँचा। श्रीलंका में यह बौद्ध धर्म का पदार्पण था। इन्हें भी देखें: श्रीलंका

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भट्ट, जनार्दन अशोक के धर्मलेख (हिंदी)। नई दिल्ली: प्रकाशन विभाग, 118।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख