बड़े बड़ाई ना करैं -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:56, 20 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> बड़े बड़ाई ना करैं , बड़ो न बोले बोल ।<br /> ‘रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बड़े बड़ाई ना करैं , बड़ो न बोले बोल ।
‘रहिमन’ हीरा कब कहै, लाख टका मम मोल ॥
- अर्थ
जो सचमुच बड़े होते हैं, वे अपनी बड़ाई नहीं किया करते, बड़े-बड़े बोल नहीं बोला करते। हीरा कब कहता है कि मेरा मोल लाख टके का है।[1]
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ छोटे छिछोरे आदमी ही बातें बना-बनाकर अपनी तारीफ के पुल बाँधा करते हैं।
संबंधित लेख