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मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य के दक्षिण-मध्य में यह नगर स्थित है। पहले बालाघाट दो गांवों, बूढ़ा और बूढ़ी, से मिलकर बना था। 1877 में इसे नगरपालिका बनाया गया।  अंग्रेजों ने इन दोनों गांवों का विलय कर 1895 में वर्तमान शहर की स्थापना की। कहा जाता है कि मुख्य आयोक्त सर रिचर्ड टेंपल ने 1867 में ब्रिटिश अधिकारियों के हनीमून स्थल के रूप में इस शहर को स्थापित किया। सतपुडा पर्वतमाला के किनारे पर [[मध्य प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]] और [[छत्तीसगढ़]] की सीमा पर बसा है। यह शान्त, सुन्दर और छोटा सा शहर है। यह शहर शुद्ध हिन्दी भाषी है। यहाँ एक नगरपालिका व बालाघाट जिले का प्रशासकीय मुख्यालय है।
 
मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य के दक्षिण-मध्य में यह नगर स्थित है। पहले बालाघाट दो गांवों, बूढ़ा और बूढ़ी, से मिलकर बना था। 1877 में इसे नगरपालिका बनाया गया।  अंग्रेजों ने इन दोनों गांवों का विलय कर 1895 में वर्तमान शहर की स्थापना की। कहा जाता है कि मुख्य आयोक्त सर रिचर्ड टेंपल ने 1867 में ब्रिटिश अधिकारियों के हनीमून स्थल के रूप में इस शहर को स्थापित किया। सतपुडा पर्वतमाला के किनारे पर [[मध्य प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]] और [[छत्तीसगढ़]] की सीमा पर बसा है। यह शान्त, सुन्दर और छोटा सा शहर है। यह शहर शुद्ध हिन्दी भाषी है। यहाँ एक नगरपालिका व बालाघाट जिले का प्रशासकीय मुख्यालय है।
  

13:56, 22 अप्रैल 2010 का अवतरण

बालाघाट / Balaghat

स्थापना

मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य के दक्षिण-मध्य में यह नगर स्थित है। पहले बालाघाट दो गांवों, बूढ़ा और बूढ़ी, से मिलकर बना था। 1877 में इसे नगरपालिका बनाया गया। अंग्रेजों ने इन दोनों गांवों का विलय कर 1895 में वर्तमान शहर की स्थापना की। कहा जाता है कि मुख्य आयोक्त सर रिचर्ड टेंपल ने 1867 में ब्रिटिश अधिकारियों के हनीमून स्थल के रूप में इस शहर को स्थापित किया। सतपुडा पर्वतमाला के किनारे पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसा है। यह शान्त, सुन्दर और छोटा सा शहर है। यह शहर शुद्ध हिन्दी भाषी है। यहाँ एक नगरपालिका व बालाघाट जिले का प्रशासकीय मुख्यालय है।

स्थिति

यह शहर जबलपुर से 155 किमी दक्षिण में वैन गंगा नदी के पूर्व में स्थित है। सतपुड़ा पहाड़ियों के निचले भाग में बसा यह शहर नजुल वन से घिरा है।

यातायात और परिवहन

प्रमुख सड़क पर स्थित है व रेल जंक्शन भी है। यह मध्य प्रदेश के लगभग सभी बडे शहरो भोपाल, जबलपुर, और इन्दौर से सड़क मार्ग द्वारा जुडा हुआ है। जबलपुर से छोटे मीटर गेज के रेलमार्ग द्वारा यहाँ पहुँचा जा सकता है। यह महाराष्ट्र के नगर नागपुर से औ‍र छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से भी सड़क मार्ग द्वारा जुडा है। नागपुर से बडी रेल लाईन से मुम्बई हावडा रेल मार्ग पर गोन्दिया शहर पर उतरकर बालाघाट सड़क या रेल मार्ग द्वारा एक घन्टे मे पहुँचा जा सकता है।

कृषि और खनिज

धान, मोटा अनाज और दलहन वैनगंगा नदी घाटी के उपजाऊ क्षेत्र में उगने वाली प्रमुख फ़सलें हैं। बालाघाट कृषि व्यापार और मैंगनीज खदान केन्द्र हैं। अन्य खदानों के अलावा भरवेली और उक्वा यहां की मुख्य खदानें हैं। भरवेली एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज खदान हैं।

उद्योग और व्यापार

चीनी कारखाने यहां के प्रमुख उघोग हैं।

शिक्षण संस्थान

यहां सागर विश्वविद्यालय से संबद्ध दो महाविद्यालय और अन्य कई प्रशिक्षण और पॉलीटेक्निक संस्थान हैं।

जनसंख्या

इस ज़िले की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) कुल 14,45,760 है। नगर की जनसंख्या 73,687 है।

पर्यटन

कान्हा नेशनल पार्क भी इस ज़िले मे ही है