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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
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*यह व्रत एकभक्त विधि से किया जाता है।  
 
*यह व्रत एकभक्त विधि से किया जाता है।  
 
*आठ अष्टमियों पर क्रम से आठ जलपूर्ण घट रखे जाते हैं, जिनमें एक स्वर्ण खण्ड रख दिया जाता है।  
 
*आठ अष्टमियों पर क्रम से आठ जलपूर्ण घट रखे जाते हैं, जिनमें एक स्वर्ण खण्ड रख दिया जाता है।  
 
*विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों के साथ में दिन कर दिये जाते हैं।  
 
*विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों के साथ में दिन कर दिये जाते हैं।  
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*प्रत्येक अष्टमी पर ऐल पुरूरवा तथा मिथि और उसकी कन्या उर्मिला की गाथाएँ सनी जाती हैं।  
 
*प्रत्येक अष्टमी पर ऐल पुरूरवा तथा मिथि और उसकी कन्या उर्मिला की गाथाएँ सनी जाती हैं।  
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12:54, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • जब शुक्ल अष्टमी को बुधवार पड़ता है तो व्रत का आरम्भ होता है।
  • यह व्रत एकभक्त विधि से किया जाता है।
  • आठ अष्टमियों पर क्रम से आठ जलपूर्ण घट रखे जाते हैं, जिनमें एक स्वर्ण खण्ड रख दिया जाता है।
  • विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों के साथ में दिन कर दिये जाते हैं।
  • अन्त में बुद्ध की एक स्वर्ण प्रतिमा भी दान के रूप में दी जाती है।[1]
  • प्रत्येक अष्टमी पर ऐल पुरूरवा तथा मिथि और उसकी कन्या उर्मिला की गाथाएँ सनी जाती हैं।
  • वर्षक्रियाकौमुदी[2] ने इस व्रत पर राजमार्तण्ड के तीन श्लोक उद्धृत किये हैं, जो व्रततत्त्व[3] में रखे गये हैं।
  • व्रतराज[4] ने इस व्रत का एवं इसके उद्यापन का उल्लेख किया है।

 


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 1, 866-873, भविष्योत्तरपुराण 54|159 से उद्धरण
  2. वर्षक्रियाकौमुदी (39-40
  3. व्रततत्त्व (पृ0 151
  4. व्रतराज (256-265

संबंधित लेख

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