"भगवत (विष्णु)" के अवतरणों में अंतर
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====भगवान विष्णु के अन्य नाम==== | ====भगवान विष्णु के अन्य नाम==== |
09:12, 20 अगस्त 2010 का अवतरण
मुख्य लेख : विष्णु
- भगवत् एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें: भगवत्
भगवान विष्णु का भी नाम भगवत् है।
मुख्य लेख : विष्णु
- शर्व एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें: शर्व
भगवान विष्णु का भी नाम शर्व है। चार भुजाधारी भगवान विष्णु के दाहिनी एवं ऊर्ध्व भुजा के क्रम से अस्त्र विशेष ग्रहण करने पर केशव आदि नाम होते हैं अर्थात, दाहिनी ओर का ऊपर का हाथ, दाहिनी ओर का नीचे का हाथ, बायीं ओर का ऊपर का हाथ और बायीं ओर का नीचे का हाथ- इस क्रम से चारों हाथों में शंख, चक्र आदि आयुधों को क्रम या व्यतिक्रमपूर्वक धारण करने पर भगवान की भिन्न-भिन्न संज्ञाएँ होती हैं। उन्हीं संज्ञाओं का निर्देश करते हुए यहाँ भगवान का पूजन बतलाया जाता है।
भगवान विष्णु के अन्य नाम
- विष्णु
- भगवत्
- जिन
- नारायण
- कृष्ण
- वैकुण्ठ
- विष्टरश्रवस्
- दामोदर
- ह्रषिकेश
- केशव
- माधव
- स्वभू
- दैत्यारि
- पुण्डरीकाक्ष
- गोविन्द
- गरुड़ध्वज
- पीताम्बर
- अच्युत
- शार्गिं
- विष्वक्सेन
- जनार्दन
- उपेन्द्र
- इन्द्रावरज
- चक्रपाणि
- चतुर्भुज
- पद्मानाभ
- मधुरिपु
- वासुदेव
- त्रिविक्रम
- देवकीनन्दन
- शौरि
- श्रीपति
- पुरुषोत्तम
- वनमालिन्
- बलिध्वंसिन्
- कंसाराति
- अधोक्षज
- विश्वम्भर
- कैटभजित्
- विधु
- श्रीवत्सलाञ्छन
- पुराणपुरुष[1]
- यज्ञपुरुष
- नरकान्तक
- जलशायिन्
- विश्वरूप
- मुकुन्द
- मुरमर्दन
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्य पुस्तकों में 'पुराणपुरुष' से लेकर 'मुदमर्दन' तक श्लोक नहीं है, अतः वहाँ केवल 39 ही नाम गिनाये गए हैं।
सम्बंधित लिंक
भगवान विष्णु के अन्य नाम
- शर्व
- नारायण
- कृष्ण
- जिन
- विष्टरश्रवस्
- दामोदर
- ह्रषिकेश
- केशव
- माधव
- वैकुण्ठ
- दैत्यारि
- पुण्डरीकाक्ष
- गोविन्द
- गरुड़ध्वज
- पीताम्बर
- अच्युत
- शार्गिं
- विष्वक्सेन
- जनार्दन
- उपेन्द्र
- इन्द्रावरज
- चक्रपाणि
- चतुर्भुज
- पद्मानाभ
- मधुरिपु
- वासुदेव
- त्रिविक्रम
- देवकीनन्दन
- शौरि
- श्रीपति
- पुरुषोत्तम
- वनमालिन्
- बलिध्वंसिन्
- कंसाराति
- अधोक्षज
- विश्वम्भर
- कैटभजित्
- विधु
- श्रीवत्सलाञ्छन
- पुराणपुरुष[1]
- यज्ञपुरुष
- नरकान्तक
- जलशायिन्
- विश्वरूप
- मुकुन्द
- मुरमर्दन
- सुपर्ण
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्य पुस्तकों में 'पुराणपुरुष' से लेकर 'मुदमर्दन' तक श्लोक नहीं है, अतः वहाँ केवल 39 ही नाम गिनाये गए हैं।