"मणिमान" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*शंकराचार्य एवं मध्वाचार्य के शिष्यों में परस्प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[शंकराचार्य]] एवं [[मध्वाचार्य]] के शिष्यों में परस्पर घोर प्रतिस्पर्धा रहती थी।  
+
[[शंकराचार्य]] एवं [[मध्वाचार्य]] के शिष्यों में परस्पर घोर प्रतिस्पर्धा रहती थी।  
*मध्व अपने को [[वायु देव]] का अवतार कहते थे तथा शंकर को [[महाभारत]] में उदधृत एक अस्पष्ट व्यक्ति, मणिमान का अवतार मानते थे।  
+
*मध्व अपने को [[वायु देव]] का अवतार कहते थे तथा शंकर को [[महाभारत]] में उदधृत एक अस्पष्ट व्यक्त '''मणिमान''' का [[अवतार]] मानते थे।  
 
*मध्व ने महाभारत की व्याख्या में शंकर की उत्पत्ति सम्बन्धी धारणा का उल्लेख किया है।  
 
*मध्व ने महाभारत की व्याख्या में शंकर की उत्पत्ति सम्बन्धी धारणा का उल्लेख किया है।  
*मध्व के पश्चात उनके एक प्रशिष्य पंडित नारायण ने मणिमंजरी एवं मध्वविजय नामक [[संस्कृत]] ग्रन्थों में मध्व वर्णित दोनों अवतार (मध्व के वायु अवतार एवं शंकर के मणिमान अवतार) के सिद्धान्त की स्थापना गम्भीरता से की है।  
+
*मध्व के पश्चात् उनके एक प्रशिष्य पंडित नारायण ने मणिमंजरी एवं मध्वविजय नामक [[संस्कृत]] ग्रन्थों में मध्व वर्णित दोनों अवतार (मध्व के वायु अवतार एवं शंकर के मणिमान अवतार) के सिद्धान्त की स्थापना गम्भीरता से की है।  
 
*उपर्युक्त माध्व ग्रन्थों के विरोध में ही 'शंकरदिग्विजय' नामक ग्रन्थ की रचना हुई जान पड़ती है।
 
*उपर्युक्त माध्व ग्रन्थों के विरोध में ही 'शंकरदिग्विजय' नामक ग्रन्थ की रचना हुई जान पड़ती है।
  
{{प्रचार}}
+
 
{{लेख प्रगति
+
{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
|आधार=आधार1
 
|प्रारम्भिक=
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
+
 
 +
==संबंधित लेख==
 +
{{कथा}}
 +
[[Category:कथा साहित्य]][[Category:कथा साहित्य कोश]]
 +
[[Category:पौराणिक कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

07:50, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

शंकराचार्य एवं मध्वाचार्य के शिष्यों में परस्पर घोर प्रतिस्पर्धा रहती थी।

  • मध्व अपने को वायु देव का अवतार कहते थे तथा शंकर को महाभारत में उदधृत एक अस्पष्ट व्यक्त मणिमान का अवतार मानते थे।
  • मध्व ने महाभारत की व्याख्या में शंकर की उत्पत्ति सम्बन्धी धारणा का उल्लेख किया है।
  • मध्व के पश्चात् उनके एक प्रशिष्य पंडित नारायण ने मणिमंजरी एवं मध्वविजय नामक संस्कृत ग्रन्थों में मध्व वर्णित दोनों अवतार (मध्व के वायु अवतार एवं शंकर के मणिमान अवतार) के सिद्धान्त की स्थापना गम्भीरता से की है।
  • उपर्युक्त माध्व ग्रन्थों के विरोध में ही 'शंकरदिग्विजय' नामक ग्रन्थ की रचना हुई जान पड़ती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख