यशपाल (वैज्ञानिक)

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यशपाल (अंग्रेज़ी: Yashpal, जन्म- 26 नवम्बर, 1926; मृत्यु- 24 जुलाई, 2017, नोएडा) भारत के मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद थे। देश में वैज्ञानिक प्रतिभाओं को निखारने में उनका ख़ास योगदान माना जाता है। उनकी उपलब्धियों का सम्मान करते हुए ही भारत सरकार ने उन्हें पद्म पुरस्कारों से नवाजा था। यशपाल दूरदर्शन पर 'टर्निंग पाइंट' नाम के एक साइंटिफिक कार्यक्रम को भी होस्ट करते थे। भारत में उनका श‍िक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा है। वह श‍िक्षा में ओवरबर्डन पढ़ाई के सख्त विरुद्ध थे। इसीलिए उन्होंने इस मुद्दे की ओर भारत सरकार का कई बार ध्यान आकर्ष‍ित किया था।

परिचय

प्रसिद्ध शिक्षाविद और वैज्ञानिक यशपाल का जन्म 26 नवम्बर सन 1926 को झंग (अब पाकिस्तान में) नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान से अपना स्नातक पूर्ण किया था। इसके बाद उन्होंने 1958 में मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेकनोलॉजी से भौतिक विज्ञान में ही पीएचडी की। उनके परिवार में पत्नी और दो पुत्र हैं।

कॅरियर

यशपाल ने अपने कॅरियर की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च से की थी। 1973 में भारत सरकार ने उन्हें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर नियुक्त किया था। 1983-1984 में वे प्लानिंग कमीशन के मुख्य सलाहकार भी रहे। विज्ञान व तकनीकी विभाग में वह सचिव रहे। इसके अलावा उन्हें 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' में अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई।

यशपाल दूरदर्शन पर 'टर्निंग पाइंट' नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे। उनका श‍िक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा। वह श‍िक्षा में ओवरबर्डन पढ़ाई के सख्त ख़िलाफ़ थे। इसलिए उन्होंने इस मुद्दे की ओर भारत सरकार का कई बार ध्यान आकर्ष‍ित किया। उनकी कोश‍िशों का ही नतीजा था कि उनकी अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा 'लर्निंग विदाउट बर्डन' नाम की एक रिपोर्ट तैयार की गई, जो श‍िक्षा के क्षेत्र के लिए बेहद प्रासंगिक थी। श‍िक्षा के क्षेत्र में उनके रुझान और उपायों को देखते हुए साल 1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। 1970 में यशपाल के होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम को खूब सराहना मिली।[1]

सम्मान

प्रोफ़ेसर यशपाल को 1976 में 'पद्म भूषण' तथा 2013 में 'पद्म विभूषण' सम्मान से नवाजा गया था।

शिक्षा क्षेत्र में योगदान

1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। 1970 में उनके होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम को खूब सराहना मिली। 1993 में बच्चों की शिक्षा में ओबरबर्डन के मुद्दे पर भारत सरकार ने यशपाल की अध्यक्षता में एक समीति बनाई। इस समीति ने लर्निंग विथाउट बर्डन नाम से रिपोर्ट दी। यह रिपोर्ट शिक्षा के क्षेत्र में बेहद प्रासंगिक है। एनसीईआरटी ने जब नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क बनाया, तब यशपाल को इसका चेयरपर्सन बनाया गया। हायर एजुकेशन में मानव संसाधन मंत्रालय ने 2009 में यशपाल समीति बनाई। समीति ने हायर एजुकेशन में काफ़ी बदलाव के सुझाव दिए। हालांकि सरकार को भी अभी इन्हें ठीक तरह से लागू करना बाकी है। यशपाल दूरदर्शन पर 'टर्निंग पाइंट' नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत के मशहूर वैज्ञानिक यशपाल का निधन (हिंदी) newstracklive.com। अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2017।
  2. मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रोफेसर यशपाल का निधन (हिंदी) hindi.thequint.com। अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

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