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*इस व्रत में काले रंगों से [[सर्प|सर्पों]] का चित्रांकन एवं पूजा करनी चाहिए। | *इस व्रत में काले रंगों से [[सर्प|सर्पों]] का चित्रांकन एवं पूजा करनी चाहिए। | ||
− | *इसके करने से सर्प प्रसन्न होते हैं और वंशजों को कोई डर नहीं होता है। <ref>गदाधरपद्धति (78-79)।</ref> | + | *इसके करने से सर्प प्रसन्न होते हैं और वंशजों को कोई डर नहीं होता है।<ref>गदाधरपद्धति (78-79)।</ref> |
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06:01, 11 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की पंचमी को करना चाहिए।
- इस व्रत में काले रंगों से सर्पों का चित्रांकन एवं पूजा करनी चाहिए।
- इसके करने से सर्प प्रसन्न होते हैं और वंशजों को कोई डर नहीं होता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गदाधरपद्धति (78-79)।
संबंधित लिंक
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