एक्सप्रेस वे

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मुम्बई-पुणे एक्सप्रेस वे

एक्सप्रेस वे यातायात के लिए एक सड़क मार्ग हैं। वर्तमान में भारत संकरी सड़कों से एक्सप्रेस वे पर आ गया है। यात्रा का समय कम करने और वाहनों को द्रुतगति से दौड़ाने के लिए इन एक्सप्रेस वे को बनाया गया है। पहले एकल रोड पर भी वाहन आसानी से आ जा सकते थे। बाद में इन सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ने लगा, उन्हीं समस्याओं का समाधान एक्सप्रेस वे के रूप में निकाला गया, लेकिन आज इसकी ज़रूरत ने एक्सप्रेस वे योजना को ही महत्त्वपूर्ण बना दिया। मुख्य शहरों के एयरपोर्ट, व्यावसायिक केंद्रों से जोड़कर एक्सप्रेस वे ने कम समय में शहरों को जोड़ दिया है।

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

एक्सप्रेस वे शहरी विकास के नए युग की शरूआत के साथ देश के क्रमागत विकास की चाल को भी तेज करते हैं। पिछले पांच दशक से भारत में जिन राजमार्गो और एक्सप्रेस वे की चर्चा होती रही, उसे मूर्त रूप में ढालने का वास्तविक प्रयास तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। 1999 ने वाजपेयी ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सुप्तावस्था से जगाकर सक्रिय किया, उन्होंने देश के चारों मेट्रो शहरों को उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर से जोडने के लिए "स्वर्णिम चतुर्भुज योजना" बनाई और इसके कार्यान्वयन का जिम्मा "हर कीमत पर पूरा करने के आदेश के साथ" बी.सी. खंडूरी को सौंपा। ये किसी कीर्तिमान से कम न था, क्योंकि नौकरशाह, रीयल एस्टेट मालिक, जमींदारों के विरोध के बावजूद यह योजना 95 प्रतिशत तक पूरी हो पाई और आज वास्तविकता सबके सामने है।[1]

जापान से तकनीकी सहायता

एक्सप्रेस मार्गो के विकास के लिए जापान, भारत के साथ "टेक्नोलॉजी ट्रांसफर" करने का इच्छुक है। ख़ास तौर से हाई-स्पीड कॉरिडोर्स के लिए। गौरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान ने आर्थिक पुनरूत्थान करते हुए, सबसे पहले सड़कों की बदतर हालत पर ध्यान दिया था। 1956 में 23 प्रतिशत राष्ट्रीय मार्ग पक्के थे, लेकिन आज जापान के चारों मुख्य द्वीप और ओकिनावा क़रीब 7000 कि.मी. के एक्सप्रेस वे नेटवर्क से जुड़े हैं।[1]

भारत में पहला एक्सप्रेस वे

भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई और शैक्षिक केन्द्र पूना के बीच 'पहला एक्सप्रेस वे' का निर्माण किया गया। यह एक्सप्रेस वे छ: लेन का बनाया गया है। 93 कि.मी. (58 मील) लंबाई वाला यह राजमार्ग अन्य सड़कों से अलग है। इस एक्सप्रेस पर मुंबई और पुणे के बीच में वाहन चालन का आनंद महसूस कर सकते हैं। पुराने समय में सफर करने के मुकाबले एक्सप्रेस वे से 2-3 घंटे में गंतव्य तक पहुँच जाते हैं। जबकि एन.एच. 4 (राष्ट्रीय राजमार्ग 4) से जाने पर 4-5 घंटे का समय लग जाता है। इस तरह व्यावसायिक रूप से दो महत्त्वपूर्ण शहरों के बीच यात्रा के समय में काफ़ी बचत हो गई। यह वन वे तो है ही, इसकी सुरंगों को भी अलग-अलग बनाया गया है। सड़क के दोनों ओर बाड़ लगाई है ताकि जानवर आदि वाहनों की गति में कोई बाधा पैदा न करें। इस पर दो पहिया वाहन, तिपहिया और ट्रैक्टर की अनुमति नहीं है। जगह-जगह पेट्रोल पंप, ढाबे, कार्यशालाओं, शौचालय, आपातकालीन फ़ोन, प्राथमिक चिकित्सा, सी.सी.टी.वी. आदि की व्यवस्था से सुसज्जित किया गया है। साथ ही 80,000 पेड़ भी लगाये गए हैं।

भारत के एक्सप्रेस वे सूची

  1. अहमदाबाद-वड़ोदरा
  2. मुम्बई-पुणे
  3. जयपुर किशनगढ़
  4. इलाहाबाद बाईपास
  5. दुर्गापुर एक्सप्रेस
  6. चेन्नई बाईपास
  7. दिल्ली-गुड़गाँव एक्सप्रेस वे
  8. नोएडा-ग्रेटर नोएडा
  9. दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट
  10. हैदराबाद ऊंचा एक्सप्रेस
  11. होसर रोड ऊंचा
  12. आउटर रिंग रोड (हैदराबाद)
  13. रायपुर-भिलाई-दुर्ग एक्सप्रेस
  14. यमुना एक्सप्रेस वे
  15. बंगलौर-मैसूर इंफ़्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर

राष्ट्रीय राजमार्ग व एक्सप्रेस वे

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क भारत का सड़क नेटवर्क है, जो सभी प्रमुख और छोटे शहरों के साथ ही कस्बों और गांवों को साथ जोड़ता है। भारतीय सड़क नेटवर्क में एक्सप्रेस वे, राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग के साथ ही और कई मुख्य ज़िले और ग्रामीण सड़कें है। एक्सप्रेस वे और राजमार्गों के बीच क्या मुख्य अंतर है और ये फ्रीवे क्या होता है?[2]

राष्ट्रीय राजमार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग भारत के हर एक प्रमुख शहर को जोड़ता है, चाहे वो बंदरगाह हो या फिर राज्यों की राजधानी। इसमें दो, चार या फिर ज्यादा लेन होते हैं जिनको चारकोल या फिर कोयला और कुछ सीमेंट कंक्रीट से बनाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रेड सड़कों पर है और ये पैदल और साइकिल चालकों के लिए घातक होते हैं क्योंकि राजमार्गों पर गति कई बार बेकाबू होती है। देश के आर्थिक विकास को बढ़ाने में राष्ट्रीय राजमार्ग की अहम भूमिका रही है, क्योंकि कई शहरों के साथ राजमार्गों के जरिए ही व्यापार होता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधीन ये नेटवर्क जिसको बनाने का काम और प्रबंधन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम और राज्य सरकारों के लोक निर्माण विभाग यानि (पीडब्ल्यूडी) करता है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, 1988 ने एनएच को स्थापित किया जो कि राजमार्ग विकास, रख-रखाव के साथ ही टोल जुटाने के लिए निजी के साथ ही सोशल साझेदारी मॉडल को इस्तेमाल में लाता है।

एक्सप्रेस वे

भारत में एक्सप्रेस वे में उच्च श्रेणी की सड़कें होती हैं जो कि नियंत्रित एक्सेस रोड नेटवर्क वाले छह से आठ लेन के राजमार्ग होते हैं। साधारणत: एक्सप्रेस वे आधुनिक सुविधाओं, जैसे- एक्सेस रैंप, ग्रेड सेपरेशन, लेन डिवाइडर के साथ एलिवेटेड सेक्शन से युक्त होते है। इनमें प्रवेश और निकास को छोटी सड़कों के इस्तेमाल से काबू में किया जाता है। कई स्मार्ट और इंटेलिजेंट फीचर्स से भी एक्सप्रेस वे को लैस किया जाता है, जिसमें एक हाइवे ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम यानी कि एचटीएमएस के साथ ही वीडियो इंसिडेंट डिटेक्शन सिस्टम यानि कि वीआईडीएस को भी शामिल किया होता है। प्रधिकरण सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय एक्सप्रेस वे आता है जो इनको बनाने और इनके रखरखाव का भी ध्यान रखते हैं।[2]

मुख्य अंतर

एक्सप्रेस वे में सड़कें मल्टीप्लेक्स्ड नहीं होती हैं यानी कि जहां गाड़ियां एक लिमिटेड जगह से प्रवेश कर सकती है। यह आगे या दूसरी सड़क पर मिलता या कहीं भी एक्सप्रेस वे को पार नहीं करता। एक्सप्रेस वे तक पहुंचने के रास्ते लिमिटेड होते है। इसके लिए कुछ जगहें तय होती हैं। इससे कोई दूसरी सड़क नहीं जुड़ती और न तो इससे होकर गुजरती है। इसकी वजह से हादसे की संभावना भी कम होती है, लेकिन कई सड़कें ऐसी हैं जो कई जगहों पर राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ मिलती या उसको पार करती हैं। मतलब राजमार्ग से होकर कई रास्ते जाते है और जुड़ते हैं। राजमार्ग रोडवेज में हाई स्पीड यातायात देने के लिए स्पेशली 04 लेन होते हैं, लेकिन एक्सप्रेस वे एक हाई स्पीड वाली सड़कों का ढांचा भर होता है जिसमें कम सड़कें जुड़ती हैं। इसमें कई सुविधाएं दी जाती हैं, जैसे कि एक्सेस रैंप, लेन डिवाइडर। राष्ट्रीय राजमार्ग में ऐसा नहीं होता है।

फ्री वे

फ्री वे साधारणत: उच्च गति की गाड़ियों के आने-जाने के लिए बनाया गया है। ये कंट्रोल्ड एक्सेस हाइवे नेशनल का एक हाइएस्ट क्लास है। भारत में नेशनल हाइवे सिस्टम में सिर्फ दो ही फ्री वे हैं। मुंबई में ट्रैफिक क्राउड में कमी लाने के लिए पूर्वी फ्री वे और पश्चिमी फ्री वे का निर्माण किया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 विकास की रफ्तार को गति देते एक्सप्रेस वे (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 5 सितम्बर, 2012।
  2. 2.0 2.1 आपको है मालूम, राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे के बीच Difference क्या है? (हिंदी) nedricknews.com। अभिगमन तिथि: 20 मार्च, 2022।

बाहरी कड़ियाँ

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