गणित (सूक्तियाँ)

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क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) यथा शिखा मयूराणां, नागानां मणयो यथा।

तद् वेदांगशास्त्राणां, गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥
(जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों में गणित का स्थान सबसे उपर है।)

वेदांग ज्योतिष
(2) बहुभिर्प्रलापैः किम्, त्रयलोके सचरारे।

यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम्, गणितेन् बिना न हि ॥
(बहुत प्रलाप करने से क्या लाभ है ? इस चराचर जगत् में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता।)

महावीराचार्य, जैन गणितज्ञ
(3) ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान् पुस्तक लिखी गयी है। गैलिलियो
(4) गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी। प्रो. हाल
(5) काफ़ी हद तक गणित का सम्बन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है। इसका सम्बन्ध सी.डी. से, कैट-स्कैन से, पार्किंग-मीटरों से, राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है। गणित इस जगत् को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं। गरफ़ंकल
(6) गणित एक भाषा है। जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स, अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री
(7) लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के ऊपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ। अज्ञात
(8) यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम बृहस्पति पर राकेट भेज पाते। अज्ञात


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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