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विवरण ' देवनागरी वर्णमाला के तवर्ग का चौथा व्यंजन है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दन्त्य, स्पर्श, घोष तथा महाप्राण ध्वनि है।
व्याकरण [ संस्कृत (धातु) धा + ड ] विशेषण- धारण करने वाला, पकड़ने वाला। पुल्लिंग- ब्रह्मा, कुबेर, धर्म, धन-सम्पत्ति।
विशेष 'ध्' पहले आकर व्यंजनों के साथ गुच्छ बनाता है- विशेषत: म, य, र और व के साथ जिनसे मिलने पर क्रमश: 'ध्म, ध्य, ध्र और ध्व लिखे जाते हैं।
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अन्य जानकारी संगीत के सप्त स्वरों में से धैवत स्वर के सूचक चिह्न या प्रतीकाक्षर के रूप में 'ध' का प्रयोग होता है। जैसे- प ध नि।

देवनागरी वर्णमाला के तवर्ग का चौथा व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दन्त्य, स्पर्श, घोष तथा महाप्राण ध्वनि है।

विशेष-
  • 'ध' का अल्पप्राण वर्ण 'द' है।
  • 'ध्' पहले आकर व्यंजनों के साथ गुच्छ बनाता है- विशेषत: म, य, र और व के साथ जिनसे मिलने पर क्रमश: 'ध्म, ध्य, ध्र और ध्व लिखे जाते हैं। (इध्म, साध्य, ध्रुव, ध्वनि)।
  • 'ध' से पहले आकार मिलने वाली ध्वनियों में ग्, द्, न्, ब्, और र् महत्वपूर्ण हैं जिनसे मिलने पर 'ग्ध', 'द्ध', 'न्ध', 'ब्ध' और 'र्ध' रूप लिखे जाते हैं (दग्ध, उद्धत, बन्धन, प्रारब्ध, अर्ध); 'द्ध' को 'द्ध' भी लिखा जाता है (उद्धत, वृद्ध समृद्ध) 'ध' महाप्राण ध्वनि है अत: 'ध' का द्ववित्व नहीं हो सकता।
  • [ संस्कृत (धातु) धा + ड ] विशेषण- धारण करने वाला, पकड़ने वाला। पुल्लिंग- ब्रह्मा, कुबेर, धर्म, धन-सम्पत्ति।
  • संगीत के सप्त स्वरों में से धैवत स्वर के सूचक चिह्न या प्रतीकाक्षर के रूप में 'ध' का प्रयोग होता है। जैसे- प ध नि।[1]

ध की बारहखड़ी

धा धि धी धु धू धे धै धो धौ धं धः

ध अक्षर वाले शब्द



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 1297

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