मिथुन चक्रवर्ती

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मिथुन चक्रवर्ती
मिथुन चक्रवर्ती
पूरा नाम गौरांग चक्रवर्ती
प्रसिद्ध नाम मिथुन चक्रवर्ती
अन्य नाम मिथुन दा, एमजी (महागुरु), दादा
जन्म 16 जून, 1950
जन्म भूमि कलकत्ता (अब कोलकाता)
पति/पत्नी योगिता बाली
संतान 4 (तीन पुत्र- मिमोह, रिमो, नमाशी और एक पुत्री- दिशानी)
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र फ़िल्म अभिनेता, फ़िल्म निर्माता
मुख्य फ़िल्में मृगया, डिस्को डांसर, प्यार झुकता नहीं, जल्लाद, अग्निपथ, स्वामी विवेकानंद, दलाल, गुरु, ओएमजी आदि।
शिक्षा स्नातक (विज्ञान)
विद्यालय स्कॉटिश चर्च कॉलेज
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण (2024), 3 बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, 2 बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी बॉलीवुड की 350 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय के अलावा उन्होंने बांग्ला, उड़िया और भोजपुरी में भी बहुत सारी फ़िल्में की। मिथुन मोनार्क ग्रुप के मालिक भी हैं जो हॉस्पिटालिटी सेक्टर में कार्यरत है।
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मिथुन चक्रवर्ती (अंग्रेज़ी: Mithun Chakraborty, बचपन का नाम: गौरांग चक्रवर्ती, जन्म: 16 जून, 1950) भारत के प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी है। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने अभिनय की शुरुआत कला फ़िल्म 'मृगया' (1976) से की, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए पहला राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1980 के दशक के अपने सुनहरे दौर में एक डांसिंग स्टार के रूप में उनके बहुत सारे प्रसंशक बने और खुद को उन्होंने भारत के सबसे लोकप्रिय प्रमुख अभिनेता के रूप में स्थापित किया, विशेष रूप से 1982 में बहुत बड़ी हिट फ़िल्म 'डिस्को डांसर' में स्ट्रीट डांसर जिमी की भूमिका ने उन्हें लोकप्रिय बनाया। कुल मिलाकर बॉलीवुड की 350 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय के अलावा उन्होंने बांग्ला, उड़िया और भोजपुरी में भी बहुत सारी फ़िल्में की। मिथुन मोनार्क ग्रुप के मालिक भी हैं जो हॉस्पिटालिटी सेक्टर में कार्यरत है।

जीवन परिचय

मिथुन चक्रवर्ती का जन्म 16 जून, 1950 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ और कोलकाता के ही विख्यात स्कॉटिश चर्च कॉलेज से उन्होंने रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। उसके बाद वे भारतीय फ़िल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे से जुड़े और वहीं से स्नातक भी किया। यह बहुत ही कम लोगों को ज्ञात है कि मिथुन फ़िल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले एक कट्टर नक्सली थे, लेकिन उनके परिवार को कठिनाई का सामना तब करना पड़ा जब उनके एकमात्र भाई की मौत दुर्घटनावश बिजली के करंट लगने से हो गयी। इसके बाद मिथुन अपने परिवार में लौट आये और नक्सली आन्दोलन से खुद को अलग कर लिया, हालांकि ऐसा करने के कारण नक्सलियों से उनके जीवन को खतरा उत्पन्न हो सकता था, क्योंकि नक्सलवाद को वन-वे रोड माना जाता रहा। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ और जीवन में उन्हें एक आइकोनिक दर्जा प्रदान करने में प्रमुख कारण बना। यह बात भी कम लोग ही जानते हैं कि उन्होंने मार्शल आर्ट में महारत हासिल की है। मिथुन ने भारतीय अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की और वे चार बच्चे, तीन बेटे और एक बेटी के पिता हैं। ज्येष्ठ पुत्र, मिमो चक्रवर्ती; जिन्होंने 2008 में बॉलीवुड फ़िल्म 'जिमी' से अपने अभिनय जीवन की शुरुआत की। उनका दूसरा बेटा, रिमो चक्रवर्ती जिसने फ़िल्म 'फिर कभी' में छोटे मिथुन की भूमिका में अभिनय किया। मिथुन के अन्य दो बच्चे नमाशी चक्रवर्ती और दिशानी चक्रवर्ती हैं।

फ़िल्मी कैरियर

मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी पहली फ़िल्म मृणाल सेन की ‘मृगया’ के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार जीता था। लगभग तीन दशक बाद उनकी भूमिका फ़िल्म ‘वीर’ में सराही गयी। कुछ वर्ष पूर्व मणिरत्नम की ‘गुरु’ में भी उन्हें सराहा गया था। ‘मृगया’ के बाद मुंबई में मिथुन को लंबा संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि उनका चेहरा पारंपरिक नायक का नहीं था। बी सुभाष की फ़िल्म ‘डिस्को डांसर’ ने उन्हें सितारा हैसियत दिलाई। एक्शन और नाच-गाने की श्रेणी की फ़िल्मों में वह सिरमौर बन गए और केसी बोकाडिया की फ़िल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ की विराट सफलता ने उन्हें ऊपर की श्रेणी में पहुंचा दिया। शायद इसी कारण अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘अग्निपथ’ और ‘गंगा जमुना सरस्वती’ में भी उन्हें समानांतर भूमिकाएँ मिलीं।

उतार-चढ़ाव

मिथुन के कैरियर में एक दौर ऐसा आया कि उनकी दर्जन भर फ़िल्में असफल हो गईं। अपनी इस असफलता से वह हतप्रभ रह गए। उन दिनों ‘मृगया’ के इस नायक ने (जो कभी नक्सलवाद से भी जुड़ा था) ऊटी में ‘मोनार्क’ नामक पांच सितारा होटल बनाया। उन्होंने वहां माहवारी वेतन पर कैमरामैन इत्यादि तकनीशियन रखे और मुंबई के वे तमाम निर्माता जिन्हें सितारे उपलब्ध नहीं थे, अपनी सीमित पूंजी लेकर ‘मोनार्क’ जाते थे, जहां तीन माह में मिथुन अभिनीत फ़िल्म बतर्ज फैक्टरी के उन्हें बनाकर दी जाती थी। सीमित बजट और अल्प समय में बनी ये फ़िल्में निर्माता को लाभ देती थीं और इन फ़िल्मों ने हिंदुस्तान के तमाम ठाठिया सिनेमाघरों को बंद होने से बचा लिया। उसी दौर में समयाभाव के कारण संस्कृत में बनने वाली एक फ़िल्म में विवेकानंद की भूमिका को उन्हें नकारना पड़ा। मिथुन कॉटेज फ़िल्म उद्योग के जनक रहे। फ़िल्म यूनिट ‘मोनार्क’ में ठहरती और उसके इर्द-गिर्द ही शूटिंग होती थी। अत: इस कॉटेज फ़िल्म उद्योग के साथ होटल भी चल पड़ा। फ़िल्म ‘मृगया’ का जनजाति वाला नायक इस तरह उद्योगपति हो गया। बंगाल में कुछ लोग मोनार्क मिथुन को आज भी नक्सली की तरह याद करते हैं। मिथुन चक्रवर्ती ने विगत 30-35 वर्षो में खूब नाम-दाम कमाया, साथ ही अच्छे आदमी की छवि भी गढ़ी। उन्होंने जूनियर कलाकार और डांसर दल को हमेशा मदद दी है। मिथुन ने मिसाल पेश की है कि साधारण अभिनय क्षमता और कमतर रंग-रूप के बावजूद आप चमक-दमक वाली फ़िल्मी दुनिया में सफल हो सकते हैं। सतत प्रयास और दृढ़ इच्छाशक्ति कुंडली में नए योग रचती है।[1]

लोकप्रियता

मिथुन चक्रवर्ती ने ‘मृगया’ से लेकर ‘ओएमजी’ तक हर फ़िल्म में अपनी एक छाप छोड़ी। यह वही समय था जब अमिताभ बच्चन की तूती बोल रही थी और युवाओं का एक वर्ग उनका दीवाना हुआ जा रहा था। उसी समय मिथुन ने अपने दीवानों की एक अलग जमात खड़ी कर दी। आम शहरी लड़कियों को पहली बार यह एहसास हुआ कि उसका हीरो एक आम सी शक्ल-सूरत में आ सकता है। वो आम लोगों के अमिताभ या ग़रीबों के अमिताभ हो गए। मिथुन ने जानबूझ कर ही शायद उन सब चीज़ों से अपने को दूर रखा जो उन्हें अभिजात्य में शामिल करता। अजीब रंगों की चुस्त पैंट, उस पर अक्सर भड़कीली सी टी-शर्ट या कोई डिज़ाइनर सी शर्ट, उस पर एक जैकेट। बाल भी ऐसे कटे हुए कि कानों के बगल में कली ग़ायब। ‘प्यार झुकता नहीं’ से लेकर ‘डिस्को डांसर’ तक उन्होंने अपनी स्टाइल की ऐसी पहचान बना ली जिसने हर बड़े शहर की छोटी बस्तियों में और हर छोटे शहर की हर बस्ती में अपनी छाप छोड़ी। यह उनकी सफलता ही थी कि हर साधारण सा दिखने वाला युवक उनकी तरह बाल कटवाकर, उनकी तरह कपड़े पहनकर और उनकी तरह थोड़ा सा अकड़कर चलते हुए अपने आपको हीरो सा समझने लगा था। ये भी मिथुन की व्यावसायिक चतुराई थी कि इस बीच उन्होंने वो फ़िल्में भी हाथ से नहीं जानें दी जिनमें उन्हें साइड हीरो की भूमिका मिल रही थी लेकिन अभिनय का अवसर था। एक हीरो के साथ मिथुन चक्रवर्ती एक निर्माता के रूप में भी पहचाने जाते हैं। उन्होंने खुद को हीरो रखकर कई फ़िल्में निर्मित की। कुछ फ़िल्में तो बहुत सफल हुईं। मिथुन एक ऐसे निर्माता थे जिनके बैनर तले एक साल में 6 से 10 फ़िल्में तक बनतीं। वह निर्देशक से लेकर कैमरामन तक से फ़िल्म के लिए पूरे साल का अनुबंध करते। यह एक नया प्रयोग था।[2]

टेलीविजन शो

डांस इंडिया डांस और डांस बांग्ला डांस जैसे ज़ी टीवी के डांस शो में मिथुन ग्रैंड जज हैं। यह उनकी परिकल्पना है। डांस पर रुचि रखने वालो के लिए यह एक सुनहर मौक़ा है।

सम्मान और पुरस्कार

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
  • वर्ष 1977 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार फ़िल्म 'मृगया' के लिए
  • वर्ष 1993 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 'ताहादेर कथा' के लिए
  • वर्ष 1996 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 'स्वामी विवेकानंद' के लिए
फ़िल्मफेयर पुरस्कार
  • वर्ष 1990 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फ़िल्म फेयर पुरस्कार 'अग्निपथ' के लिए
  • वर्ष 1995 में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार 'जल्लाद' के लिए
स्टार स्क्रीन पुरस्कार
  • वर्ष 1995 में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का स्टार स्क्रीन पुरस्कार 'जल्लाद' के लिए


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चौकसे, जयप्रकाश। मिथुन चक्रवर्तीःमृगया से वीर तक (हिंदी) फ़िल्म जगत्। अभिगमन तिथि: 19 सितम्बर, 2013।
  2. मिथुन चक्रवर्ती एक अलग किस्म का अभिनेता (हिंदी) अमर उजाला। अभिगमन तिथि: 19 सितम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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