मेरी चुनरी में परिगयो दाग़ पिया। पांच तत की बनी चुनरिया सोरह सौ बैद लाग किया। यह चुनरी मेरे मैके ते आयी ससुरे में मनवा खोय दिया। मल मल धोये दाग़ न छूटे ग्यान का साबुन लाये पिया। कहत कबीर दाग़ तब छुटि है जब साहब अपनाय लिया।