रहिमन आटा के लगे -रहीम
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‘रहिमन’ आटा के लगे, बाजत है दिन-राति ।
घिउ शक्कर जे खात हैं , तिनकी कहा बिसाति ॥
- अर्थ
मृदंग को ही देखो। जरा-सा आटा मुँह पर लगा दिया, तो वह दिन रात बजा करता है, मौज में मस्त होकर खूब बोलता है। फिर उनकी बात क्या पूछते हो, जो रोज घी शक्कर खाया करते हैं।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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