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कविता भाटिया (चर्चा | योगदान) |
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{किशनगढ़ चित्रण किस राज्य से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-54,प्रश्न-1 | {किशनगढ़ चित्रण किस राज्य से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-54,प्रश्न-1 | ||
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− | -उत्तर प्रदेश | + | -[http://उत्तर%20प्रदेश उत्तर प्रदेश] |
− | -बिहार | + | -[[बिहार]] |
− | +राजस्थान | + | +[[राजस्थान]] |
− | -जयपुर | + | -[[जयपुर]] |
− | ||किशनगढ़ चित्रशैली का संबंध राजस्थान राज्य से है। जोधपुर के राजा महाराणा उदय सिंह के आठवें पुत्र किशन सिंह के नाम पर उनके लिए आवंटित जागीर को किशनगढ़ के नाम से विकसित किया गया। | + | ||[[किशनगढ़]] चित्रशैली का संबंध [[राजस्थान]] राज्य से है। [[जोधपुर]] के [[महाराणा उदय सिंह|राजा महाराणा उदय सिंह]] के आठवें पुत्र किशन सिंह के नाम पर उनके लिए आवंटित जागीर को किशनगढ़ के नाम से विकसित किया गया। |
− | {बंगाल शैली के प्रमुख चित्रकार थे- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-19 | + | {बंगाल शैली के प्रमुख [[चित्रकार]] थे- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-19 |
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− | -नंदलाल बोस | + | -[[नंदलाल बोस]] |
− | + | + | +[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] |
− | -अमृता शेरगिल | + | -[[अमृता शेरगिल]] |
-के.एन. मजूमदार | -के.एन. मजूमदार | ||
− | {रवि वर्मा जाने जाते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-91,प्रश्न-16 | + | {[[राजा रवि वर्मा|रवि वर्मा]] जाने जाते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-91,प्रश्न-16 |
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+पौराणिक चित्रों के लिए | +पौराणिक चित्रों के लिए | ||
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-पशु-पक्षी चित्रों के लिए | -पशु-पक्षी चित्रों के लिए | ||
-ऐतिहासिक चित्रों के लिए | -ऐतिहासिक चित्रों के लिए | ||
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{फ्रांस के किस कलाकार ने नर्तकियों को अपने चित्रण की विषय-वस्तु बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-29 | {फ्रांस के किस कलाकार ने नर्तकियों को अपने चित्रण की विषय-वस्तु बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-29 | ||
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{अजंता की अनुकृति का कार्य सर्वप्रथम किसने किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-23 | {अजंता की अनुकृति का कार्य सर्वप्रथम किसने किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-23 | ||
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− | + | + | +राबर्ट गिल |
-जान ग्रिफिथ्स | -जान ग्रिफिथ्स | ||
-लेडी हेरिंघम | -लेडी हेरिंघम | ||
− | -नंदलाल बोस | + | -[[नंदलाल बोस]] |
− | ||अजंता | + | ||[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफ़ाओं]] के भित्तिचित्रों की अनुकृतियां सर्वप्रथम राबर्ट गिल नामक [[चित्रकार]] द्वारा बनाई गईं। |
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− | {कांगड़ा चित्रकला के संरक्षक संसारचंद के कला प्रेम की चर्चा एक अंग्रेज यात्री ने सुंदर शब्दों में की है, इसका नाम है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-16 | + | {[[कांगड़ा चित्रकला]] के संरक्षक संसारचंद के कला प्रेम की चर्चा एक अंग्रेज यात्री ने सुंदर शब्दों में की है, इसका नाम है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-16 |
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-हेनरी मूर | -हेनरी मूर | ||
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-वाल्टर स्काट | -वाल्टर स्काट | ||
+मूर क्रापट | +मूर क्रापट | ||
− | ||कांगड़ा चित्रकला के संरक्षक संसारचंद के कला प्रेम की चर्चा 1820 ई. में भारत आए प्रसिद्ध यात्री मूर क्राफ्ट ने की है। | + | ||[[कांगड़ा चित्रकला]] के संरक्षक संसारचंद के कला प्रेम की चर्चा 1820 ई. में [[भारत]] आए प्रसिद्ध यात्री मूर क्राफ्ट ने की है। |
− | {कांगड़ा शैली के चित्रों में मुख्य चित्रण है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-19 | + | {[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] के चित्रों में मुख्य चित्रण है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-19 |
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+कृष्ण-राधा के प्रेम का | +कृष्ण-राधा के प्रेम का | ||
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-शिव-पर्वती के प्रेम का | -शिव-पर्वती के प्रेम का | ||
-कामदेव एवं रति के प्रेम का | -कामदेव एवं रति के प्रेम का | ||
− | ||कांगड़ा शैली के चित्रकारों का प्रिय विषय 'राधा-कृष्ण' के चित्रण था। कांगड़ा शैली के संरक्षक राजा संसारचंद वैष्णव धर्म के अनुयायी और कृष्ण भक्त थे। उनका प्रश्रय पाकर चित्रकारों ने कृष्ण-लीला जैसे विषय को अपनी रुचि के अनुरूप चित्रित किया। कृष्ण से बढ़कर नायक उनकी दृष्टि में नहीं था। यही कारण है कि समस्त पहाड़ी कला-कृतियों में कृष्ण-कृतियों में कृष्ण का चित्रण छाया रहा। कृष्ण संबंधी अनेक कांगड़ा चित्र संसार भर के संग्रहालयों में देखे जा सकते हैं। | + | ||[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] के चित्रकारों का प्रिय विषय 'राधा-कृष्ण' के चित्रण था। कांगड़ा शैली के संरक्षक राजा संसारचंद वैष्णव धर्म के अनुयायी और [[कृष्ण]] भक्त थे। उनका प्रश्रय पाकर चित्रकारों ने कृष्ण-लीला जैसे विषय को अपनी रुचि के अनुरूप चित्रित किया। कृष्ण से बढ़कर नायक उनकी दृष्टि में नहीं था। यही कारण है कि समस्त पहाड़ी कला-कृतियों में कृष्ण-कृतियों में कृष्ण का चित्रण छाया रहा। कृष्ण संबंधी अनेक कांगड़ा चित्र संसार भर के संग्रहालयों में देखे जा सकते हैं। |
− | {नवप्रभाववाद का जनक था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-40 | + | {[[नवप्रभाववाद]] का जनक था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-40 |
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-आगस्ते रेन्वार | -आगस्ते रेन्वार | ||
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-पॉल सेजां | -पॉल सेजां | ||
+जॉर्ज सोरा | +जॉर्ज सोरा | ||
− | ||'नवप्रभाववाद' का संस्थापक जॉर्ज सोरा था। नवप्रभाववाद की अवधि 1884-1886 ई. थी। इसमें तेल व कैनवास की सहायता से चित्रों को उकेरा गया। | + | ||'[[नवप्रभाववाद]]' का संस्थापक जॉर्ज सोरा था। नवप्रभाववाद की अवधि 1884-1886 ई. थी। इसमें तेल व कैनवास की सहायता से चित्रों को उकेरा गया। |
+ | {घनवाद कितने प्रकार का होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-42 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +दो | ||
+ | -तीन | ||
+ | -चार | ||
+ | -पांच | ||
+ | ||घनवाद (क्यूबिज्म) के कलात्मक आंदोलन की दो प्रमुख शाखाएं थीं- विश्लेषणात्मक घनवाद और कृत्रिम घनवाद (सिंथेटिक क्यूबिज्म)। | ||
+ | {'फ्रिडा कहली' किस देश से संबंधित कलाकार थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-145,प्रश्न-54 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -[[जर्मनी]] | ||
+ | -अमेरिकन | ||
+ | +मेक्सिकन | ||
+ | -इटालियन | ||
+ | ||फ्रिडा कहली डी रिवेरा (1907-1954) एक मैक्सिकन चित्रकार थीं जो स्वयं का चित्र (Self Portraits) बनाने की लिए जानी जाती हैं। | ||
+ | {[[नीला रंग|नीले]] के पूरक अथवा विरोधी रंग का नाम बताइए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-160,प्रश्न-18 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -[[लाल रंग|लाल]] | ||
+ | -[[पीला रंग|पीला]] | ||
+ | -[[बैंगनी रंग|बैंगनी]] | ||
+ | +[[नारंगी रंग|नारंगी]] | ||
+ | ||[[नीला रंग|नीले]] का विरोधी अथवा पूरक रंग नारंगी होता है। प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो रंग बनते हैं उन्हें विरोधी रंग कहते हैं। इस प्रकार नारंगी का विरोधी [[आसमानी रंग|आसमानी]] (नीला) व बैंगनी का विरोधी रंग पीला है। लाल का विरोधी रंग हरा होता है। | ||
+ | |||
+ | {[[नीला रंग]] आयातित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-165,प्रश्न-61 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -[[ईरान]] से | ||
+ | -इराक से | ||
+ | +[[अफ़गानिस्तान]] से | ||
+ | -[[इटली]] से | ||
+ | ||[[नीला रंग]] [[फारस]] तथा [[अफ़गानिस्तान]] की 'बदख्शा' नामक पहाड़ी के खानों से निकाला जाता था जो आक्सस नदी के किनारे स्थित है। नीले रंग का प्रयोग प्राचीन चित्रों जोगीमारा तथा पांचवीं शताब्दी के सिगरिया गुफाओं के चित्रों में भी हुआ अजंता की दूसरी गुफा के चित्रों में इस रंग का प्रयोग हुआ था। | ||
+ | {'पटुआ चित्र' कहां संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-76 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -[[मधुबनी]] | ||
+ | -[[कोटा]] | ||
+ | +[[कालीघाट]] | ||
+ | -लालघाट | ||
+ | ||'पटुआ' एक कलाकार समुदाय है जो [[पश्चिम बंगाल]] में पाए जाते हैं, कुछ पटुआ हिंन्दू जबकि कुछ पटुआ मस्लिम हैं। हिंदू पटुआ कलकत्ता के कालीघाट ओर कुमारतुली क्षेत्र में सक्रिय हैं। इनके द्वारा कला का परिष्कृत रूप पटुआ कला कहलाता है। यह शैली कालीघाट शैली के नाम से जानी जाने लगी। | ||
+ | {[[टेराकोटा]] मूर्ति बनाई जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-175,प्रश्न-68 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -पत्थर | ||
+ | -सीमेंट से | ||
+ | -प्लास्टर से | ||
+ | +[[मिट्टी]] से | ||
+ | ||'[[टेराकोटा]]' मूर्ति मिट्टी से बनाई जाती है। इस तरह की मूर्तियां प्राचीन काल से बनाई जाती रही हैं। | ||
+ | |||
+ | {ज्योति भट्ट किस विधा से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-190,प्रश्न-51 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -पेंटिंग | ||
+ | -[[मूर्ति कला]] | ||
+ | -[[संगीत]] | ||
+ | +प्रिंट मेकिंग | ||
+ | ||ज्योति भट्ट प्रिंट मेकिंग कला से संबंधित हैं। ज्योति भट्ट का जन्म [[गुजरात]] में हुआ था। यह [[चित्रकार]] के साथ-साथ श्रेष्ठ ग्राफिक चित्रकार भी हैं। इन्होंने कई 'स्थित जीवन' चित्र तथा आकृति विषय जिनमें वस्तुओं के रूप में घनवादी तरीके से विरूपित किया है, बनाया है। | ||
+ | |||
+ | {एत्मादुद्दौला का मकबरा कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-240 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +[[आगरा]] में | ||
+ | -[[मथुरा]] में | ||
+ | -[[दिल्ली]] में | ||
+ | -[[इलाहाबाद]] में | ||
+ | ||एत्मादुद्दौला का मकबरा नूरजहां ने 1622-1628 ई. के मध्य बनवाया। यह [[आगरा]] में [[यमुना नदी]] के तट पर स्थित एक अत्यंत अलंकारिक इमारत है। यह पहली कृति है जो पूर्णतया संगमरमर से बनाई गई है। | ||
+ | |||
+ | {निम्न में से सबसे सॉफ्ट लेड (मुलायम नोंक) वाली पेंसिल है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-170,प्रश्न-30 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -HB | ||
+ | -2B | ||
+ | -4B | ||
+ | +9B | ||
+ | ||B,2B,3B,4B,6B,9B आदि सॉफ्ट लेड (मुलायम नॉक) वाली पेंसिले हैं। इनमें सबसे सॉफ्ट लेड (मुलायम नॉक) वाली पेंसिल 9B है। ये कोमल रेखांकन हेतु प्रयुक्त की जाती है। | ||
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11:55, 4 जनवरी 2018 का अवतरण
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