अक्साई चिन

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अक्साई चिन

अक्साई चिन अथवा 'अक्सेचिन' भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी छोर पर हिंदुकुश तथा कराकोरम पर्वतश्रेणियों में स्थित विच्छिन्न, बंजर और अधिकांशत: अनिवास्य मैदान है। लद्दाख के एक हिस्से के रूप में स्वीकृत यह स्थान भौगोलिक रूप से तिब्बत के पठार का विस्तार है। चीनी लोग इसे "सफ़ेद पत्थरों का रेगिस्तान" कहते हैं।

ऐतिहासिकता

ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों, जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है, और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रस्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था। वर्ष 1950 के दशक से यह क्षेत्र चीन के क़ब्ज़े में है। भारत बराबर इस पर अपने दावे की पुष्टि करता रहा है और इसे जम्मू और कश्मीर का उत्तर-पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है। 1960 में भारत और चीन के बीच सीमा वार्ता में अक्साई चिन पर चर्चा हुई थी और 1962 में भारत-चीन संघर्ष के दौरान यहाँ लद्दाख में भारी लड़ाई हुई थी।

नामकरण

अक्साई चिन का नाम उईग़ुर भाषा से आया है, जो एक तुर्की भाषा है। उईग़ुर में 'अक़' का अर्थ 'सफ़ेद' होता है और 'साई' का अर्थ 'घाटी' या 'नदी की वादी'। उईग़ुर का एक और शब्द 'चोअल' है, जिसका अर्थ है 'वीराना' या 'रेगिस्तान', जिसका पुरानी ख़ितानी भाषा में रूप 'चिन' था। 'अक्साई चिन' के नाम का अर्थ 'सफ़ेद पथरीली घाटी का रेगिस्तान' निकलता है। चीन की सरकार इस क्षेत्र पर अधिकार जतलाने के लिए 'चिन' का अर्थ 'चीन का सफ़ेद रेगिस्तान' निकालती है, लेकिन अन्य लोग इस पर विवाद रखते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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