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'''अथर्वागिरस''' वैदिक ऋषि अथर्वा या अंगिरा के अनुवर्ती अथर्वांगिरस के नाम से विख्यात हैं। उनका कार्य यज्ञ यागादी के अनुष्ठानों में अथर्ववेद के विधिवत्‌ पालन की ओर ध्यान देना था। इनमें से कई मंत्रों के रचयिता या मंत्रद्रष्टा ऋषि भी थे। वैदिक साहित्य में पता चलता है कि स्वर्ग जाने के लिए आदित्यों के साथ इनकी स्पर्धा रहा करती थी।  
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'''अथर्वागिरस''' वैदिक ऋषि अथर्वा या अंगिरा के अनुवर्ती अथर्वांगिरस के नाम से विख्यात हैं। उनका कार्य यज्ञ यागादी के अनुष्ठानों में अथर्ववेद के विधिवत्‌ पालन की ओर ध्यान देना था। इनमें से कई मंत्रों के रचयिता या मंत्रद्रष्टा ऋषि भी थे। वैदिक साहित्य में पता चलता है कि स्वर्ग जाने के लिए आदित्यों के साथ इनकी स्पर्धा रहा करती थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=94 |url=}}</ref>
  
  

12:24, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

अथर्वागिरस वैदिक ऋषि अथर्वा या अंगिरा के अनुवर्ती अथर्वांगिरस के नाम से विख्यात हैं। उनका कार्य यज्ञ यागादी के अनुष्ठानों में अथर्ववेद के विधिवत्‌ पालन की ओर ध्यान देना था। इनमें से कई मंत्रों के रचयिता या मंत्रद्रष्टा ऋषि भी थे। वैदिक साहित्य में पता चलता है कि स्वर्ग जाने के लिए आदित्यों के साथ इनकी स्पर्धा रहा करती थी।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 94 |

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