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वर्तमान ‘अनाम’ का अधिकांश भाग इस क्षेत्र में समाहित था। इसका विस्तार 140 से 100 उत्तरी देशान्तर के बीच में था। 'हिन्दचीन' में [[भारत|भारतीयों]] का सर्वाधिक प्राचीन उपनिवेश 'चम्पा' था। ईसवी सन् से पूर्व ही भारतवासी इस देश में प्रविष्ट हो चुके थे। उस काल मे चम्पा राज्य सुख, वैभव और समृद्धि से भरपूर अनेक नगरों तथा अति सुन्दर [[हिन्दू]] व बौद्ध मन्दिरों से सुशोभित था। वहाँ के ‘मिसांग’ और ‘डांग डुआंग’ नाग के दो नगर आज भी दर्शनीय मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ के [[हिन्दू]] निवासी हिन्दू देवी-[[देवता|देवताओं]] की उपासना करते थे। चम्पा की वास्तुकला और तक्षण-कला सर्वश्रेष्ठ थी। इस राज्य में [[संस्कृत भाषा]] और [[हिन्दू धर्म]] तथा संस्कृति का व्यापक प्रसार था। [[मंगोल|मंगोलों]] और अनामियों के भीषण आक्रमणों ने सोलहवीं [[सदी]] में [[भारत]] के इस औपनिवेशिक राज्य का अन्त कर दिया। चम्पापुरी के वर्तमान [[अवशेष|अवशेषों]] में यहाँ के प्राचीन भारतीय [[धर्म]] [[संस्कृति]] की सुन्दर झलक मिलती है।
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चंपा के व्यापारियों ने 'हिन्द-चीन' पहुँचकर 'वर्तमान अनाम' के प्रदेश में 'चंपा' नामक 'भारतीय उपनिवेश' स्थापित किया था।

चम्पा

वर्तमान ‘अनाम’ का अधिकांश भाग इस क्षेत्र में समाहित था। इसका विस्तार 140 से 100 उत्तरी देशान्तर के बीच में था। 'हिन्दचीन' में भारतीयों का सर्वाधिक प्राचीन उपनिवेश 'चम्पा' था। ईसवी सन् से पूर्व ही भारतवासी इस देश में प्रविष्ट हो चुके थे। उस काल मे चम्पा राज्य सुख, वैभव और समृद्धि से भरपूर अनेक नगरों तथा अति सुन्दर हिन्दू व बौद्ध मन्दिरों से सुशोभित था। वहाँ के ‘मिसांग’ और ‘डांग डुआंग’ नाग के दो नगर आज भी दर्शनीय मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ के हिन्दू निवासी हिन्दू देवी-देवताओं की उपासना करते थे। चम्पा की वास्तुकला और तक्षण-कला सर्वश्रेष्ठ थी। इस राज्य में संस्कृत भाषा और हिन्दू धर्म तथा संस्कृति का व्यापक प्रसार था। मंगोलों और अनामियों के भीषण आक्रमणों ने सोलहवीं सदी में भारत के इस औपनिवेशिक राज्य का अन्त कर दिया। चम्पापुरी के वर्तमान अवशेषों में यहाँ के प्राचीन भारतीय धर्मसंस्कृति की सुन्दर झलक मिलती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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