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'''अबू सिंबेल, इप्संबुल''' नूबिया में नील नद के तट पर कोरोस्की के दक्षिण प्राचीन मिस्री फराऊन रामेसेज़ द्वितीय द्वारा ई.पू. 13वीं सदी के मध्य निर्मित मंदिरों का परिवार। इन मंदिरों की संख्या तीन है जिनमें से प्रधान फराऊन सेती के समय बनना आरंभ हुआ था और उसके पुत्र के शासन में समाप्त हुआ। तीनों मंदिर चट्टानों को काटकर बनाए गए हैं और इनमें से कम से कम प्रधान मंदिर तो प्राचीन जगत्‌ में अनुपम है। मंदिरों के सामने रामेसेज़ की चार विशालकाय बैठी युग्म मूर्तियों द्वार के दोनों ओर बनी हुई है; ये प्राय: 65 फुट ऊँची हैं। रामेसेज़ की मूर्तियों के साथ उसकी रानी और पुत्र पुत्रियों की भी मूर्तियाँ कोरकर बनी हैं। मंदिर सूर्यदेव आमेनरा की आराधना के लिए बने थे। मंदिर के भीतर चट्टानों में ही कटे अनेक बड़े--बड़े पौने दो--दो सौ फुट लंबे चौड़े हाल हैं जिनमें ठोस चट्टानों से ही काटकर अनेक मूर्तियाँ बना दी गई हैं। उनमें राजा की कीर्ति और विजयों की वार्ताएँ दृश्यों में खोदकर प्रस्तुत की गई हैं। अबू सिंबेल के ये मंदिर संसार के प्राचीन मंदिरों में असाधारण महत्व के है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=169 |url=}}</ref>
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*[https://mimirbook.com/hi/b34430bc01a अबू सिम्बल]
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*[https://www.jagran.com/spiritual/mukhye-dharmik-sthal-famous-sun-temples-dedicated-to-god-sun-16913685.html दुनिया के सूर्य मंदिर: भारत ही नहीं चीन और मिस्र में भी होती है सूर्य उपासना]
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*[https://www.meisterdrucke.in/utkrsht-kala-print/Carl-Friedrich-Heinrich-Werner/151875/%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B0---%E0%A4%85%E0%A4%AC%E0%A5%82-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%8C%E0%A4%9F%E0%A4%BE.html अबू सिंबल के भूमिगत मंदिर का मुखौटा]
 
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08:31, 8 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

अबू सिंबेल या 'अबू सिंबल' या 'इप्संबुल' नूबिया के मिस्र के हिस्से में एक गाँव का नाम है। यह आसवान से लगभग 240 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में और सूडान की सीमा के पास स्थित है। सन 2012 तक यहाँ की आबादी लगभग 2600 थी। यह गाँव अबू सिंबल मंदिरों के स्थल के रूप में जाना जाता है, जिसे राजा रामेसेज़ द्वितीय ने बनवाया था।

अबू सिंबेल मंदिर

ईजिप्ट पूरी दुनिया में अपने पिरामिड, ममी और फराओं के लिए मशहूर है। लगभग 5000 साल पुरानी मिस्र की सभ्यता के इतिहास में कई ऐसे राज छुपे हैं जो वैज्ञानिकों के लिए आज भी शोध का विषय बने हुए हैं। उन्हीं में से एक है- 'अबु सिंबल'। ये ईजिप्ट के दो प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें 1300 ईसापूर्व में फैरो रामेसेस द्वितीय ने बनवाया था।[1] अबू सिंबेल का मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा है, जिसे 'न्यूबियन स्मारक' कहा जाता है, जो अबू सिम्बल डाउन्रिवर से फिलए (असवान के नजदीक) तक चलता है। जुड़वां मंदिर मूल रूप से 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व में पहाड़ के मैदान से बनाये गये थे, जो फिरौन रामेसेज़ द्वितीय के 19वीं राजवंश शासन के दौरान थे।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अबु सिंबल: ‘इस मंदिर’ के लिए एकजुट हो गया था पूरा विश्व (हिंदी) roar.media। अभिगमन तिथि: 8 जनवरी, 2020।
  2. अबू सिम्बल (हिंदी) mimirbook। अभिगमन तिथि: 8 जनवरी, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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