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*'''अवनीन्द्रनाथ ठाकुर''' ([[1871]]-[[1931]]) एक प्रख्यात कलाकार तथा साहित्यकार थे। | *'''अवनीन्द्रनाथ ठाकुर''' ([[1871]]-[[1931]]) एक प्रख्यात कलाकार तथा साहित्यकार थे। | ||
− | *इन्होंने इंडियन सोसायटी ऑफ़ ओरियण्टल आर्टस की स्थापना की थी। | + | *इन्होंने 'इंडियन सोसायटी ऑफ़ ओरियण्टल आर्टस' की स्थापना की थी। |
*[[कला]] और [[चित्रकला]] की भारतीय पद्धति को इन्होंने पुन: प्रतिष्ठित करके संसार में उसे उचित सम्मान दिलाया। | *[[कला]] और [[चित्रकला]] की भारतीय पद्धति को इन्होंने पुन: प्रतिष्ठित करके संसार में उसे उचित सम्मान दिलाया। | ||
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*[[1905]] से [[1916]] ई. तक वे [[कलकत्ता]] में 'गवर्नमेंट स्कूल ऑफ़ आर्ट' के उपप्राचार्य और कुछ समय के लिए प्राचार्य भी रहे। | *[[1905]] से [[1916]] ई. तक वे [[कलकत्ता]] में 'गवर्नमेंट स्कूल ऑफ़ आर्ट' के उपप्राचार्य और कुछ समय के लिए प्राचार्य भी रहे। | ||
*उन्होंने भारतीय चित्रकला के एक नये स्कूल का जन्म किया। | *उन्होंने भारतीय चित्रकला के एक नये स्कूल का जन्म किया। |
14:57, 9 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- अवनीन्द्रनाथ ठाकुर (1871-1931) एक प्रख्यात कलाकार तथा साहित्यकार थे।
- इन्होंने 'इंडियन सोसायटी ऑफ़ ओरियण्टल आर्टस' की स्थापना की थी।
- कला और चित्रकला की भारतीय पद्धति को इन्होंने पुन: प्रतिष्ठित करके संसार में उसे उचित सम्मान दिलाया।
- उनकी चित्रकला के प्रमुख उदाहरण हैं -
- 'प्रवासी यक्ष',
- 'शाहजहाँ की मृत्यु',
- 'बुद्ध और सुजाता',
- 'कच और देवयानी' तथा
- 'उमर ख़य्याम'।
- 1905 से 1916 ई. तक वे कलकत्ता में 'गवर्नमेंट स्कूल ऑफ़ आर्ट' के उपप्राचार्य और कुछ समय के लिए प्राचार्य भी रहे।
- उन्होंने भारतीय चित्रकला के एक नये स्कूल का जन्म किया।
- उनके सर्वाधिक प्रख्यात शिष्य नंदलाल बोस थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-12