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*इसका अर्थ- कोई कार्य सिद्ध हो जाना और उसके साथ ही कोई अन्य लाभ भी प्राप्त होना।
 
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एक दिन घर के दरवाज़े पर खडा सेल्समैन श्रीमती जी को समझा रहा था, मैडम, यह रैकेट बहुत अच्छा है, इसकी नेट में हल्का करंट दौडता है और मच्छर जैसे ही इसके सम्पर्क में आता है, मर जाता है।
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वो तो सब ठीक है, कि मच्छर मर जाते हैं, लेकिन इससे हमारा क्या फ़ायदा? श्रीमती जी ने सीधा-सा प्रश्न कर डाला। स्पष्ट है-मच्छरों का मर जाना फ़ायदे की बात नहीं। हमारा रक्त चूसना और दो हाथों के बीच आकर मर जाना, मच्छर की नियति है। इसमें फ़ायदा कहाँ? लेकिन द्वार-द्वार भटकता एम.बी.ए. इस बात को समझ गया, फ़ायदा है न मैडम! आज आपको एक रैकेट के दाम में दो मिलेंगे। यह बात उन्हें क़ायदे की लगी, दोहरे फ़ायदे की लगी और रैकेट ख़रीद लिए। इसे कहते हैं, 'आम के आम गुठलियों के दाम', यानी दोहरा लाभ।
  
 
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09:36, 14 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

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  • यह लोकोक्ति एक प्रचलित कहावत है।
  • इसका अर्थ- कोई कार्य सिद्ध हो जाना और उसके साथ ही कोई अन्य लाभ भी प्राप्त होना।
उदाहरण

एक दिन घर के दरवाज़े पर खडा सेल्समैन श्रीमती जी को समझा रहा था, मैडम, यह रैकेट बहुत अच्छा है, इसकी नेट में हल्का करंट दौडता है और मच्छर जैसे ही इसके सम्पर्क में आता है, मर जाता है।

वो तो सब ठीक है, कि मच्छर मर जाते हैं, लेकिन इससे हमारा क्या फ़ायदा? श्रीमती जी ने सीधा-सा प्रश्न कर डाला। स्पष्ट है-मच्छरों का मर जाना फ़ायदे की बात नहीं। हमारा रक्त चूसना और दो हाथों के बीच आकर मर जाना, मच्छर की नियति है। इसमें फ़ायदा कहाँ? लेकिन द्वार-द्वार भटकता एम.बी.ए. इस बात को समझ गया, फ़ायदा है न मैडम! आज आपको एक रैकेट के दाम में दो मिलेंगे। यह बात उन्हें क़ायदे की लगी, दोहरे फ़ायदे की लगी और रैकेट ख़रीद लिए। इसे कहते हैं, 'आम के आम गुठलियों के दाम', यानी दोहरा लाभ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ