एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

"इला" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''इला / Ila'''<br />
 
 
*[[वैवस्वत मनु]] के दस पुत्र हुए।  
 
*[[वैवस्वत मनु]] के दस पुत्र हुए।  
 
*उनके एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई।  
 
*उनके एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई।  
पंक्ति 8: पंक्ति 7:
 
==टीका-टिप्पणी==
 
==टीका-टिप्पणी==
 
<references/>
 
<references/>
 
  
  
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

11:33, 15 मई 2010 का अवतरण

  • वैवस्वत मनु के दस पुत्र हुए।
  • उनके एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई।
  • वैवस्वत मनु ने पुत्र की कामना से मित्रावरुण यज्ञ किया। उनको पुत्री की प्राप्ति हुई जिसका नाम इला रखा गया। उन्होंने इला को अपने साथ चलने के लिए कहा किन्तु 'इला' ने कहा कि क्योंकि उसका जन्म मित्रावरुण के अंश से हुआ था, अतः उन दोंनो की आज्ञा लेनी आवश्यक थी। इला की इस क्रिया से प्रसन्न होकर मित्रावरुण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया।
  • कन्या भाव में उसने [चंद्र देवता|चन्द्रमा]] के पुत्र बुध से विवाह करके पुरूरवा नामक पुत्र को जन्म दिया।
  • तदुपरान्त वह सुद्युम्न बन गयी और उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृध्दि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्व।[1]

टीका-टिप्पणी