उजियारे लाल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

उजियारे लाल भारत के जाने-माने कवियों में से एक थे। ये उजियारे कवि से भिन्न कवि थे। खोज रिपोर्ट[1] से केवल इतना ही पता चलता है कि उजियारे लाल ने परिपाटीबद्ध पद्धति पर 'गंगालहरी' नामक एक काव्य ग्रंथ का प्रणयन किया है।[2]

  • 'गंगालहरी' नामक काव्य ग्रंथ की हस्त लिखित प्रति मथुरा, उत्तर प्रदेश में रमनलाल हरिचंद जौहरी के यहाँ देखी गई थी।
  • उजियारे लाल के काव्य 'गंगालहरी' में कुल 165 कवित्त और सवैये हैं।
  • काव्य की दृष्टि से इस रचना में न तो कोई विशेषता है और न ही निखार। लेकिन अलंकार प्रदर्शन और चमत्कार के प्रति कवि का मोह इस रचना में अवश्य दिखाई पड़ता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संख्या 10, सन 1917-1918
  2. उजियारे लाल (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 04 फ़रवरी, 2014।

संबंधित लेख