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*नवीन [[कर्नाटक]] राज्य के [[कन्नड ज़िला|कन्नड ज़िले]] में (पहले [[मद्रास]] प्रांत में) उडुपी तालुके का प्रमुख नगर है। | *नवीन [[कर्नाटक]] राज्य के [[कन्नड ज़िला|कन्नड ज़िले]] में (पहले [[मद्रास]] प्रांत में) उडुपी तालुके का प्रमुख नगर है। | ||
*उडुपी का प्राचीन नाम उडुपा था जिसको प्राचीन काल में रजतपीठपुर, रौप्यपीठपुर एवं शिवाली भी कहते थे। | *उडुपी का प्राचीन नाम उडुपा था जिसको प्राचीन काल में रजतपीठपुर, रौप्यपीठपुर एवं शिवाली भी कहते थे। | ||
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*पौराणिक किंवदंती है कि चंद्रमा (चडुप) ने इस स्थान पर तप किया था। | *पौराणिक किंवदंती है कि चंद्रमा (चडुप) ने इस स्थान पर तप किया था। | ||
*दक्षिण [[भारत]] के प्रसिद्ध दार्शनिक और द्वैतमत के प्रतिपादक मनीषी मधवाचार्य की जन्मभूमि है। | *दक्षिण [[भारत]] के प्रसिद्ध दार्शनिक और द्वैतमत के प्रतिपादक मनीषी मधवाचार्य की जन्मभूमि है। | ||
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*यह स्थान पला नदी के तट पर अवस्थित है। | *यह स्थान पला नदी के तट पर अवस्थित है। | ||
*यहाँ [[भारत]] प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर है जिसके संस्थापक 13वीं सदी के प्रसिद्ध वेष्णव सुधारक श्री [[माधवाचार्य]] माने जाते हैं। | *यहाँ [[भारत]] प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर है जिसके संस्थापक 13वीं सदी के प्रसिद्ध वेष्णव सुधारक श्री [[माधवाचार्य]] माने जाते हैं। | ||
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*परियाय नामक प्रसिद्ध पर्व पर प्रत्येक दूसरे वर्ष [[जनवरी]] में यहाँ बड़ी धूमधाम रहती है।<ref>{{cite book | last = पांडेय | first = सुधाकर | title = हिन्दी विश्वकोश | edition = 1975 | publisher = नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 59 | chapter = खण्ड 2 }}</ref> | *परियाय नामक प्रसिद्ध पर्व पर प्रत्येक दूसरे वर्ष [[जनवरी]] में यहाँ बड़ी धूमधाम रहती है।<ref>{{cite book | last = पांडेय | first = सुधाकर | title = हिन्दी विश्वकोश | edition = 1975 | publisher = नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 59 | chapter = खण्ड 2 }}</ref> | ||
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07:22, 22 जुलाई 2011 का अवतरण
- नवीन कर्नाटक राज्य के कन्नड ज़िले में (पहले मद्रास प्रांत में) उडुपी तालुके का प्रमुख नगर है।
- उडुपी का प्राचीन नाम उडुपा था जिसको प्राचीन काल में रजतपीठपुर, रौप्यपीठपुर एवं शिवाली भी कहते थे।
- उदीपी में माधवाचार्य के समय का एक प्राचीन मंदिर भी है।
- पौराणिक किंवदंती है कि चंद्रमा (चडुप) ने इस स्थान पर तप किया था।
- दक्षिण भारत के प्रसिद्ध दार्शनिक और द्वैतमत के प्रतिपादक मनीषी मधवाचार्य की जन्मभूमि है।
- यह स्थान पला नदी के तट पर अवस्थित है।
- यहाँ भारत प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर है जिसके संस्थापक 13वीं सदी के प्रसिद्ध वेष्णव सुधारक श्री माधवाचार्य माने जाते हैं।
- कहा जाता है कि माधवाचार्य ने अपना प्रसिद्ध गीताभाष्य इसी स्थान पर लिखा था।
- यह भी किंवदंती है कि आचार्य का जन्म वास्तव में उडुपि से सात मील दक्षिण पूर्व वेल्ले नामक ग्राम (पंजक-क्षेत्र) में हुआ था।
- यहाँ आठ प्राचीन मठ हैं।
- परियाय नामक प्रसिद्ध पर्व पर प्रत्येक दूसरे वर्ष जनवरी में यहाँ बड़ी धूमधाम रहती है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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