उत्सर्पिणी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यशी चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:47, 5 जुलाई 2018 का अवतरण (''''उत्सर्पिणी''' जैनमतानुसार काल की एक विशिष्ट गति अथ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

उत्सर्पिणी जैनमतानुसार काल की एक विशिष्ट गति अथवा अवस्था जिसमें रूप, रस, गंध तथा स्पर्श इन चारों की क्रम से वृद्धि होती है।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 90 |

संबंधित लेख