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'''उनवास''' [[राजस्थान]] के [[उदयपुर]] शाहर में स्थित एक मंदिर है। 10वीं [[सदी]] में निर्मित यह मंदिर जगत के अम्बिका मंदिर का समकालीन है तथा यह एक गुहिल शासक अल्लट के राज्यकाल में निर्मित हुआ था। इस मंदिर की गणना मातृपूजा परंपरा के अंतर्गत बने झालरापाटन तथा जगत के मंदिर समूहों में की जाती है, जहाँ पर एकान्तिक रूप से शक्ति के किसी रूप की ही अर्चना की जाती थी। इसमें [[दुर्गा|दुर्गा देवी]] के महिषमर्दिनी स्वरूप को शांत व वरद रूप की दिव्यता को प्रस्तुत किया गया है। [[मूर्तिकला]] की अपेक्षा [[वास्तुकला]] के अभिप्रायों के विकास के अध्ययन के लिए उनवास का मंदिर अधिक महत्त्वपूर्ण है। मंदिर की पीठिका के अलंकरणात्मक अभिप्रायों का इस मंदिर में अभाव है।
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'''उनवास''' [[राजस्थान]] के [[उदयपुर]] शाहर में स्थित एक मंदिर है। 10वीं [[सदी]] में निर्मित यह मंदिर जगत के अम्बिका मंदिर का समकालीन है तथा यह एक गुहिल शासक अल्लट के राज्यकाल में निर्मित हुआ था। इस मंदिर की गणना मातृपूजा परंपरा के अंतर्गत बने [[झालरापाटन]] तथा जगत के मंदिर समूहों में की जाती है, जहाँ पर एकान्तिक रूप से शक्ति के किसी रूप की ही अर्चना की जाती थी। इसमें [[दुर्गा|दुर्गा देवी]] के महिषमर्दिनी स्वरूप को शांत व वरद रूप की दिव्यता को प्रस्तुत किया गया है। [[मूर्तिकला]] की अपेक्षा [[वास्तुकला]] के अभिप्रायों के विकास के अध्ययन के लिए उनवास का मंदिर अधिक महत्त्वपूर्ण है। मंदिर की पीठिका के अलंकरणात्मक अभिप्रायों का इस मंदिर में अभाव है।
  
 
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11:05, 30 अप्रैल 2014 का अवतरण

उनवास राजस्थान के उदयपुर शाहर में स्थित एक मंदिर है। 10वीं सदी में निर्मित यह मंदिर जगत के अम्बिका मंदिर का समकालीन है तथा यह एक गुहिल शासक अल्लट के राज्यकाल में निर्मित हुआ था। इस मंदिर की गणना मातृपूजा परंपरा के अंतर्गत बने झालरापाटन तथा जगत के मंदिर समूहों में की जाती है, जहाँ पर एकान्तिक रूप से शक्ति के किसी रूप की ही अर्चना की जाती थी। इसमें दुर्गा देवी के महिषमर्दिनी स्वरूप को शांत व वरद रूप की दिव्यता को प्रस्तुत किया गया है। मूर्तिकला की अपेक्षा वास्तुकला के अभिप्रायों के विकास के अध्ययन के लिए उनवास का मंदिर अधिक महत्त्वपूर्ण है। मंदिर की पीठिका के अलंकरणात्मक अभिप्रायों का इस मंदिर में अभाव है।


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