कन्नौजी बोली
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
- 'कन्नौजी' संस्कृत 'कान्यकुब्ज' इस बोली का केन्द्र है, अत: इसका नाम 'कन्नौजी' पड़ा है।
- यह इटावा, फ़र्रुख़ाबाद, शाहजहाँपुर, कानपुर, हरदोई, पीलीभीत आदि में बोली जाती है।
- कन्नौजी शौरसेनी अपभ्रंश से निकली है।
- यह ब्रजभाषा के इतनी अधिक समान है कि कुछ लोग इसे ब्रजभाषा की ही उपबोली मानते हैं।
- कन्नौजी में केवल लोक-साहित्य मिलता है जिसमें से कुछ अंश प्रकाशित भी हो चुका है।
- उकारांतता (खातु, घर, सबु), ओकारांतता (हमारो या हमाओ), स्वार्थे प्रत्यय- इया (जिमिया, छोकरिया) तथा वा (बेटवा, बचवा), औ का अउ (कउन), बहुवचन के लिए ह वार (हम ह् वार, हम लोग) आदि इसकी कुछ मुख्य विशेषताएँ हैं।
|
|
|
|
|