कर्म

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कर्म अर्थात् वह जो किया जाये। काम या करनी। वे कार्य जो नैतिक या धार्मिक दृष्टि से कर्तव्य समझकर करने होते हैं। जैसे- विद्वानों का अध्यापन।

  1. शुभ
  2. अशुभ
  • वेदोक्त कर्म शुभ हैं। इनके प्रभाव से प्राणी कल्याण के भागी होते हैं। वेद में जिसका स्थान नहीं है, वह अशुभ कर्म नरकप्रद है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्रह्म वैवर्त पुराण पृ. 253

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