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काठियावाड़ में मानव बस्ती का इतिहास तीसरी सहस्राब्दी ई.पू. है। [[लोथल]] और प्रभाष पाटन (पाटन [[सोमनाथ]]) में [[हड़प्पा सभ्यता]] के पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह प्रायद्वीप [[मौर्य वंश]] के प्रभाव में आ गया, लेकिन बाद में इस पर शकों का प्रभुत्व रहा। ईसा के बाद की आरंभिक शताब्दियों में इस पर क्षत्रप वंशों का शासन था और [[गुप्त साम्राज्य]] के पतन के बाद काठियावाड़ पर पाँचवी शताब्दी में वल्लभी शासकों ने क़ब्ज़ा कर लिया। इसे [[मुसलमान|मुसलमानों]] का आरंभिक आक्रमण झेलना पड़ा, जिसकी परिणति महमूद गज़नवी के अभियानों और 1024 -25 में [[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग|सोमनाथ के मंदिर]] को नेस्तनाबूद किए जाने के रूप में हुई। बाद में यह क्षेत्र [[मुग़ल]] शासन के अंतर्गत आ गया। 1820 के बाद कई छोटी रियासतों ने अंग्रेज़ों की प्रभुता स्वीकार कर ली।  
 
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==भूगोल==
 
==भूगोल==
काठियावाड़ का क्षेत्रफल 60, 000 वर्ग किमी है। लेकिन अधिकांश बलुआ पत्थर लावा से ढका हुआ है। तटीय क्षेत्र पश्चिम तथा पूर्व में चिकनी मिट्टी और चूना-पत्थर एवं दक्षिण में जलोढ़ सामग्री और मिलियोलाइट, अर्थात हवा द्वारा निक्षेपित रेत का जमाव, जिसे पोरबंदर पत्थर कहा जाता है और निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, से घिरा हुआ है। [[खंभात की खाड़ी]] की ओर का इलाक़ा मुख्यतः जलोढ़ीय है।  
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काठियावाड़ का क्षेत्रफल 60, 000 वर्ग किमी है। लेकिन अधिकांश बलुआ पत्थर लावा से ढका हुआ है। तटीय क्षेत्र पश्चिम तथा पूर्व में चिकनी मिट्टी और चूना-पत्थर एवं दक्षिण में जलोढ़ सामग्री और मिलियोलाइट, अर्थात् हवा द्वारा निक्षेपित रेत का जमाव, जिसे पोरबंदर पत्थर कहा जाता है और निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, से घिरा हुआ है। [[खंभात की खाड़ी]] की ओर का इलाक़ा मुख्यतः जलोढ़ीय है।  
  
 
प्रायद्वीप का अधिकांश भाग समुद्रतल से 180 मीटर से कम ऊँचाई पर स्थित है, लेकिन गिरनार की पहाड़ियाँ और विलग गिर श्रेणी की ऊँचाई क्रमशः 1,117 मीटर व 647 मीटर है। इस शुष्क गर्म क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति मुख्यतः कंटीले जंगल हैं, लेकिन समुद्र के पास स्थित निम्न भूमि में मैंग्रोव जंगल भी पाए जाते हैं।
 
प्रायद्वीप का अधिकांश भाग समुद्रतल से 180 मीटर से कम ऊँचाई पर स्थित है, लेकिन गिरनार की पहाड़ियाँ और विलग गिर श्रेणी की ऊँचाई क्रमशः 1,117 मीटर व 647 मीटर है। इस शुष्क गर्म क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति मुख्यतः कंटीले जंगल हैं, लेकिन समुद्र के पास स्थित निम्न भूमि में मैंग्रोव जंगल भी पाए जाते हैं।
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काठियावाड़ दक्षिण-पश्चिमी गुजरात राज्य में प्रायद्वीपीय क्षेत्र, पश्चिम भारत में स्थित है। यह कच्छ के छोटे रण (उत्तर), खंभात की खाड़ी (पूर्व), अरब सागर (दक्षिण-पश्चिम) और कच्छ की खाड़ी (पश्चिमोत्तर) से घिरा हुआ है। पूर्वोत्तर की ओर से एक प्राचीन बलुआ पत्थर की संरचना का विस्तार प्रायद्वीप के भीतर तक है। भावनगर यहाँ का प्रमुख बंदरगाह और शहर है।

इतिहास

काठियावाड़ में मानव बस्ती का इतिहास तीसरी सहस्राब्दी ई.पू. है। लोथल और प्रभाष पाटन (पाटन सोमनाथ) में हड़प्पा सभ्यता के पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह प्रायद्वीप मौर्य वंश के प्रभाव में आ गया, लेकिन बाद में इस पर शकों का प्रभुत्व रहा। ईसा के बाद की आरंभिक शताब्दियों में इस पर क्षत्रप वंशों का शासन था और गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद काठियावाड़ पर पाँचवी शताब्दी में वल्लभी शासकों ने क़ब्ज़ा कर लिया। इसे मुसलमानों का आरंभिक आक्रमण झेलना पड़ा, जिसकी परिणति महमूद गज़नवी के अभियानों और 1024 -25 में सोमनाथ के मंदिर को नेस्तनाबूद किए जाने के रूप में हुई। बाद में यह क्षेत्र मुग़ल शासन के अंतर्गत आ गया। 1820 के बाद कई छोटी रियासतों ने अंग्रेज़ों की प्रभुता स्वीकार कर ली।

भूगोल

काठियावाड़ का क्षेत्रफल 60, 000 वर्ग किमी है। लेकिन अधिकांश बलुआ पत्थर लावा से ढका हुआ है। तटीय क्षेत्र पश्चिम तथा पूर्व में चिकनी मिट्टी और चूना-पत्थर एवं दक्षिण में जलोढ़ सामग्री और मिलियोलाइट, अर्थात् हवा द्वारा निक्षेपित रेत का जमाव, जिसे पोरबंदर पत्थर कहा जाता है और निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, से घिरा हुआ है। खंभात की खाड़ी की ओर का इलाक़ा मुख्यतः जलोढ़ीय है।

प्रायद्वीप का अधिकांश भाग समुद्रतल से 180 मीटर से कम ऊँचाई पर स्थित है, लेकिन गिरनार की पहाड़ियाँ और विलग गिर श्रेणी की ऊँचाई क्रमशः 1,117 मीटर व 647 मीटर है। इस शुष्क गर्म क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति मुख्यतः कंटीले जंगल हैं, लेकिन समुद्र के पास स्थित निम्न भूमि में मैंग्रोव जंगल भी पाए जाते हैं।

उद्योग और व्यापार

इस प्राय:द्वीप के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। यहाँ उगाई जाने वाली मुख्य फ़सलों में गेहूँ, ज्वार-बाजरा, मूँगफली और कपास शामिल हैं।

विशेषता

गिर के जंगलों में गिर राष्ट्रीय उद्यान स्थित है और यहाँ अंतिम जंगली भारतीय सिंहों और अन्य वन्यजीवों का आवास है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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