"कारवां गुज़र गया -गोपालदास नीरज" के अवतरणों में अंतर
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क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा, | क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा, | ||
क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा | क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा | ||
− | इस तरफ | + | इस तरफ ज़मीन और आसमां उधर उठा, |
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, | थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, | ||
एक दिन मगर यहाँ, | एक दिन मगर यहाँ, |
13:30, 1 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण
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स्वप्न झरे फूल से, |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |